इलेक्ट्रिक वाहन: शहरी स्वच्छता का भविष्य
इलेक्ट्रिक वाहनों का एकीकरण ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व को दर्शाता है। शून्य उत्सर्जन वाले ये वाहन न केवल वायु और ध्वनि प्रदूषण में भारी कमी लाते हैं, बल्कि शहरों को साफ-सुथरा रखने के मिशन में नई जान भी फूंकते हैं। कचरा मुक्त शहरों के लक्ष्य के साथ ईवी तकनीक पूरी तरह से मेल खाती है।
गुंटूर: अपशिष्ट प्रबंधन में ग्रीन क्रांति
आंध्र प्रदेश के गुंटूर शहर ने 200 से अधिक इलेक्ट्रिक ऑटो तैनात कर घर-घर से कचरा इकट्ठा करने की व्यवस्था में हरित बदलाव लाया है। संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) और ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी (GEF) द्वारा समर्थित इस पहल से हर साल 71,000 लीटर डीजल की खपत बचाई जा रही है। अनुमान है कि एक दशक में यह व्यवस्था 21,000 टन ग्रीनहाउस गैस को कम करेगी। जीपीएस से लैस ये ई-ऑटो 159.46 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर कर रहे हैं।
चेन्नई: ई-रिक्शा से स्वच्छता का संगीत
ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन ने शहर के 15 ज़ोन में 5,478 ई-रिक्शा तैनात किए हैं, जो 2.1 मिलियन घरों से कचरा एकत्र करते हैं। हर साल यह कदम 15,160 टन कार्बन उत्सर्जन में कटौती करता है। खास बात यह है कि ये ई-रिक्शा गीले, सूखे और खतरनाक कचरे को अलग-अलग संग्रह करने की सुविधा के साथ आते हैं, जिससे कचरे का पृथक्करण सुचारू रूप से होता है। इनमें लगे ऑडियो सिस्टम गीतों और जन संदेशों के ज़रिए नागरिकों को जागरूक करने का भी काम करते हैं। साथ ही यह पहल 6,000 से अधिक लोगों को रोज़गार भी दे रही है।
इंदौर: स्मार्ट सिटी, स्मार्ट समाधान
स्वच्छता में देशभर में पहचान बना चुके इंदौर नगर निगम ने 100 ई-वाहनों को सेवा में लगाकर डीजल पर चलने वाले ट्रकों को हटाना शुरू कर दिया है। राजवाड़ा जैसे प्रमुख इलाकों में ये वाहन अब घर-घर से कचरा इकट्ठा कर रहे हैं। अनुमान है कि इससे 24,918 टन कार्बन उत्सर्जन में सालाना कमी आएगी। इंदौर ने 20 सोलर चार्जिंग स्टेशन भी तैयार किए हैं जो रोज़ाना 800-1000 यूनिट ग्रीन एनर्जी पैदा कर सकते हैं। इससे 100 तक वाहनों की चार्जिंग हो सकेगी और निगम को सालाना लगभग ₹5.97 करोड़ की बचत होने की उम्मीद है।
हरित शहरी भारत की ओर बढ़ते कदम
गुंटूर, चेन्नई और इंदौर जैसे शहरों ने यह साबित कर दिया है कि तकनीक, नवीकरणीय ऊर्जा और स्थिरता साथ चल सकती है। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और डिजिटल निगरानी से इन शहरों में स्वच्छता सेवाएं न सिर्फ ज़्यादा पारदर्शी हुई हैं, बल्कि आम जनता को भी इसका लाभ मिल रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत यह हरित परिवर्तन सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि यह सोच में बदलाव है – एक ऐसे भारत की कल्पना, जो साफ भी हो, स्मार्ट भी हो और सतत विकास की राह पर मजबूती से आगे बढ़ता हो।