भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के महानिदेशक परमेश शिवमणि के नेतृत्व में दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सम्मेलन में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व किया। भारत ने सम्मेलन के दौरान 'गार्जियंस अगेंस्ट द ब्लेज़: ICG टैक्टिकल रिस्पॉन्स टू फायर इमर्जेंसीज़' विषय पर प्रस्तुति दी, जिसमें समुद्री आपात स्थितियों से निपटने में ICG की रणनीतियों, दक्षताओं और नवीन पहलों को साझा किया गया।
भारत ने इस वैश्विक मंच से यह भी ऐलान किया कि वह 2027 में पांचवें तटरक्षक वैश्विक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी के लिए इच्छुक है, और इसकी आधिकारिक बोली भी प्रस्तुत की गई।
इस अहम सम्मेलन में 115 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसकी सह-अध्यक्षता इटली और जापान ने की। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था— वैश्विक समुद्री शासन को मजबूत करना, समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा, आपातकालीन प्रतिक्रिया, तथा तटरक्षक बलों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
शिखर सम्मेलन में उन्नत तकनीकों, क्षमता निर्माण, और मानव संसाधन विकास जैसे विषयों पर भी गहन चर्चा हुई। अंतरराष्ट्रीय समुद्री अपराधों से निपटने के लिए बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया गया।
गौरतलब है कि तटरक्षक वैश्विक शिखर सम्मेलन की शुरुआत वर्ष 2017 में जापान तटरक्षक बल और निप्पॉन फाउंडेशन की पहल पर हुई थी। यह मंच अब वैश्विक संवाद और विश्वास निर्माण का एक प्रभावी जरिया बन चुका है।
चौथे संस्करण के दौरान इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने वर्चुअल माध्यम से संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने समुद्री प्रदूषण, खोज और बचाव अभियान, तथा समुद्री कानून प्रवर्तन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की महत्ता को रेखांकित किया।
भारत की इस भागीदारी ने एक बार फिर साबित किया है कि वैश्विक समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में ICG एक सशक्त, सक्षम और विश्वसनीय साझेदार के रूप में उभर रहा है।