प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय थल सेना की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई (DGMO), वायुसेना से एयर मार्शल ए.के. भारती (DGAO), नौसेना से वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद (DGNO) और मेजर जनरल एस.एस. शारदा उपस्थित रहे। इस सामूहिक उपस्थिति ने देश को स्पष्ट संदेश दिया कि तीनों सेनाएँ पूरी तरह एकजुट हैं और किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम हैं।
एयर मार्शल ए.के. भारती ने प्रेस को जानकारी दी कि 6 और 7 मई की दरम्यानी रात, भारतीय वायुसेना ने जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित आतंकी लॉन्च पैड्स, रडार, एयर डिफेंस सिस्टम और अन्य सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया। इस कार्रवाई के पहले और बाद की सैटेलाइट तस्वीरें प्रेस को दिखाई गईं, जिससे ऑपरेशन की रणनीतिक सटीकता स्पष्ट हुई।
भारतीय सेना ने इस दौरान दोहराया कि यह कार्रवाई "सीमित, नपी-तुली और सटीक" थी, जिसका मकसद आतंकवाद के नेटवर्क को निष्क्रिय करना था, न कि संघर्ष को और बढ़ाना।
पाकिस्तानी मीडिया और अधिकारियों द्वारा ‘रफाल विमानों’ के उपयोग को लेकर लगाए गए दावों पर सवाल किए जाने पर भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने इस विषय पर स्पष्ट टिप्पणी करने से इनकार किया। हालांकि एयर मार्शल भारती ने कहा, "भारतीय वायुसेना के पास अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए सभी विकल्प उपलब्ध हैं। किसी विशेष प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल गोपनीय रणनीति का हिस्सा होता है।"
डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय सेना किसी भी खतरे का "मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूर्ण रूप से तैयार" है। उन्होंने कहा कि "अगर देश की संप्रभुता या सुरक्षा को चुनौती दी गई तो हमारी प्रतिक्रिया निर्णायक और तीव्र होगी।"
जहाँ संघर्षविराम की घोषणा एक सकारात्मक कदम है, वहीं भारतीय सेना ने यह भी स्पष्ट किया कि यह "विश्वास के आधार पर है, न कि निश्चिंतता के आधार पर।" सीमावर्ती क्षेत्रों में अभी भी हाई अलर्ट बरकरार है और सभी निगरानी प्रणालियाँ सक्रिय हैं।
भारतीय सशस्त्र बलों की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस न केवल ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति और सफलता को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत अब आतंकी ढांचे पर सीमित लेकिन सटीक जवाबी कार्रवाई की नीति अपना चुका है। पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचार के बीच, भारत ने तथ्यों के साथ अपनी स्थिति स्पष्ट की है।