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Friday, June 20, 2025

24JT News Desk / New Delhi /May 14, 2025

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य के आदिवासी मामलों के मंत्री और भाजपा नेता विजय शाह के खिलाफ कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए FIR दर्ज करने का आदेश दिया। यह आदेश कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ, न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला द्वारा दिया गया।

राजनीति / मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए बीजेपी मंत्री विजय शाह के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया

विवादित टिप्पणी और कोर्ट की प्रतिक्रिया


विजय शाह ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था, "जिन आतंकवादियों ने हमारी बहनों का सिंदूर मिटाया, हमने उनकी ही बहन को भेजा उन्हें सबक सिखाने।" यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से कर्नल सोफिया कुरैशी की ओर इशारा करती थी, जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय सेना की प्रमुख प्रवक्ता थीं। कोर्ट ने इस बयान को "गटर की भाषा" करार देते हुए कहा कि यह न केवल कर्नल कुरैशी बल्कि पूरे सशस्त्र बलों का अपमान है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की टिप्पणी देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता के लिए खतरा है।

कानूनी प्रावधान और आदेश


कोर्ट ने विजय शाह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 (देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य), धारा 196(1)(b) (धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना), और धारा 197(1)(c) (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप) के तहत FIR दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को आदेश दिया कि वे शाम 6 बजे तक FIR दर्ज करें, अन्यथा उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और माफी


विजय शाह की टिप्पणी के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने उनकी तीखी आलोचना की और उनके इस्तीफे की मांग की। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस टिप्पणी को महिलाओं का अपमान बताया। बढ़ते दबाव के बीच, विजय शाह ने एक वीडियो संदेश में माफी मांगते हुए कहा, "अगर मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं दस बार माफी मांगने को तैयार हूं। मैं कर्नल कुरैशी का सम्मान अपनी बहन से भी अधिक करता हूं।"

भाजपा की प्रतिक्रिया


मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि पार्टी ने विजय शाह को तुरंत चेतावनी दी है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि पार्टी ने उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की है या नहीं।

यह मामला न केवल राजनीतिक शिष्टाचार की सीमाओं को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका सार्वजनिक जीवन में मर्यादा बनाए रखने के लिए कितनी सजग है। कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी महिला अधिकारी, जिन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान देश की सेवा की, के प्रति सम्मान और गरिमा बनाए रखना समाज की जिम्मेदारी है ।

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