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Saturday, December 13, 2025

News Desk / News Delhi /November 8, 2025

नासा और जापान की खोज ने बदल दी जीवन की कहानी — साबित हो सकता है कि हम सब धरती के नहीं, बल्कि तारों की संतान हैं! आइए जानते हैं, संजय सक्सेना, वरिष्ठ विश्लेषक और विचारक, के इस लेख के माध्यम से।

विज्ञान / क्या हम सचमुच धरती के नहीं? - 20 अरब साल पुरानी चट्टान ने खोला जीवन का रहस्य ! - संजय सक्सैना

ब्रह्मांड से आया जीवन: सच या कल्पना?


कल्पना कीजिए — अरबों साल पहले, जब पृथ्वी अभी एक तपती हुई आग का गोला थी, आसमान में धूमकेतु और क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) लगातार टकरा रहे थे।
इन्हीं टक्करों के साथ शायद ऐसे अणु (मॉलिक्यूल) भी आए, जिन्होंने जीवन का बीज बोया।
अब यह कल्पना नहीं रही।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और जापान की जाक्सा (JAXA) ने मिलकर जो खोज की है, उसने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है।
उन्होंने 20 अरब वर्ष पुराने बेनू नामक क्षुद्रग्रह की चट्टान का अध्ययन किया है, जिसमें जीवन के बीज — यानी अमीनो अम्ल और डीएनए–आरएनए के पूर्वज रसायन पाए गए हैं।

बेनू: सौरमंडल का प्राचीन खजाना


बेनू कोई साधारण चट्टान नहीं है। यह सौरमंडल की सबसे पुरानी वस्तुओं में से एक है।
जब सूर्य, पृथ्वी और अन्य ग्रह बन रहे थे, तभी यह क्षुद्रग्रह अस्तित्व में आया था।
यानी यह समय के आरंभ का साक्षी है — एक जीवित अवशेष। नासा का ओसिरिस-रेक्स मिशन वर्ष 2020 में बेनू तक पहुंचा और वहां से बारीकी से धूल और पत्थर के नमूने एकत्र किए।
तीन वर्ष बाद, वर्ष 2023 में यह यान लगभग 121 ग्राम चट्टान लेकर पृथ्वी पर लौटा।
वैज्ञानिकों ने जब इन नमूनों की जांच की, तो उनके सामने जो खुलासा हुआ, उसने जीवन की उत्पत्ति को लेकर अब तक की सारी धारणाओं को हिला दिया।
इस चट्टान में 20 में से 14 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए गए — वही रासायनिक तत्व जो पृथ्वी पर सभी जीवों के शरीर में मौजूद होते हैं।
साथ ही, डीएनए और आरएनए के निर्माण से जुड़े प्राचीन रासायनिक यौगिक भी मिले, जो जीवन के विकास की आधारशिला हैं।

पैनस्पर्मिया सिद्धांत: जीवन के बीज जो अंतरिक्ष से आए


यह खोज फिर से जीवित कर रही है वह पुराना वैज्ञानिक विचार जिसे पैनस्पर्मिया सिद्धांत कहा जाता है।
ग्रीक भाषा के दो शब्दों से बना है यह शब्द — ‘पैन’ यानी सभी और ‘स्पर्मा’ यानी बीज।
इस सिद्धांत के अनुसार जीवन के बीज पूरे ब्रह्मांड में फैले हुए हैं, और वे ग्रहों पर गिरकर जीवन की शुरुआत कर सकते हैं।
सोचिए — जब पृथ्वी पर पहली बार बारिश हुई, जब समुद्र बने, जब ठंडक आने लगी — तभी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह ने टक्कर मारी, और उसके साथ आए अमीनो अम्ल और कार्बनिक अणु समुद्रों में घुल गए।
धीरे-धीरे इन रासायनिक तत्वों से प्रोटीन बने, फिर कोशिकाएं बनीं, और फिर वही जीवन विकसित हुआ जो आज मनुष्य के रूप में यहां है।

धरती का जीवन या अंतरिक्ष का उपहार?
वैज्ञानिकों का कहना है कि बेनू की चट्टान के अणु इतने शुद्ध हैं कि उन्हें कभी किसी बाहरी प्रभाव ने नहीं छुआ।
वे अरबों वर्षों तक अंतरिक्ष के शून्य में सुरक्षित रहे।
यह प्रमाण है कि जीवन की बुनियादी ईंटें पृथ्वी पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में बनीं।
पहले यह तर्क दिया जाता था कि अंतरिक्ष की विकिरण (रेडिएशन), ठंड और धक्कों से ऐसे नाजुक रसायन नष्ट हो जाते होंगे।
लेकिन प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों और मिशनों से मिले प्रमाण बताते हैं कि ये तत्व अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों को भी सह सकते हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि जीवन के लिए जरूरी तत्व ब्रह्मांड के हर कोने में मौजूद हो सकते हैं।

हमारी पहचान पर सवाल: क्या हम सच में पृथ्वीवासी हैं?


अगर पैनस्पर्मिया सिद्धांत सही है, तो इसका अर्थ यह है कि जीवन पृथ्वी पर ‘पैदा’ नहीं हुआ, बल्कि ‘आया’।
हम सब — पेड़, जानवर, इंसान — ब्रह्मांड के मेहमान हैं।
हमारी नसों में बहता जीवन तारों की धूल से बना है।
हम सच में स्टारडस्ट हैं — तारों की संतान।
यह विचार केवल वैज्ञानिक नहीं, बल्कि दार्शनिक भी है।
इससे यह अहसास होता है कि हमारा अस्तित्व केवल इस नीले ग्रह तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे ब्रह्मांड से जुड़ा हुआ है।

वैज्ञानिकों की अगली यात्रा: और गहराई तक खोज


अब वैज्ञानिक केवल इस एक चट्टान पर नहीं रुकेंगे।
नासा और जाक्सा दोनों एजेंसियां और भी नमूनों की जांच कर रही हैं।
जेम्स वेब दूरबीन जैसे उपकरण अंतरिक्ष के अन्य हिस्सों में जीवन के संकेत खोजने में मदद कर रहे हैं।
मंगल, बृहस्पति का चंद्रमा यूरोपा, और शनि का चंद्रमा टाइटन — ये सभी अब वैज्ञानिकों की अगली मंज़िल हैं।
अगर इन जगहों पर भी इसी तरह के कार्बनिक अणु मिले, तो यह लगभग निश्चित हो जाएगा कि जीवन केवल पृथ्वी तक सीमित नहीं है।

क्या ब्रह्मांड जीवन से भरा है?


यह खोज बताती है कि जीवन कोई दुर्लभ संयोग नहीं, बल्कि शायद ब्रह्मांड का एक सामान्य नियम है।
अगर एक छोटे से पत्थर में जीवन की नींव पाई जा सकती है, तो कल्पना कीजिए कि उन असंख्य ग्रहों और उपग्रहों पर क्या-क्या संभव हो सकता है, जो सूर्य जैसे तारों के चारों ओर घूम रहे हैं।
ब्रह्मांड में अरबों तारे हैं, और हर तारे के चारों ओर अनेक ग्रह।
ऐसे में यह मानना कि जीवन केवल धरती पर है, अब धीरे-धीरे असंभव-सा लगता है।

मनुष्य के लिए इसका क्या अर्थ है?


यह खोज हमें हमारी उत्पत्ति की गहराई में झाँकने को मजबूर करती है।
हम जिन तत्वों से बने हैं — हाइड्रोजन, कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन — वे सब तारों के हृदय में बने थे।
जब कोई तारा फटता है, तो यही तत्व पूरे अंतरिक्ष में बिखर जाते हैं।
उन्हीं से नए ग्रह बनते हैं, और उन्हीं पर फिर जीवन पनपता है।
तो क्या यह कहा जा सकता है कि —
हम धरती के नहीं, बल्कि तारों के पुनर्जन्म हैं?
क्या हमारी आत्मा सचमुच ब्रह्मांड की यात्रा का हिस्सा है?

अभी भी बाकी हैं कई रहस्य


फिर भी यह कहानी पूरी नहीं हुई है।
वैज्ञानिकों को और प्रमाण चाहिए।
क्या ये अमीनो अम्ल सच में अंतरिक्ष से आए, या ये किसी और प्रक्रिया से बने?
क्या जीवन के बीज किसी और ग्रह से भी फैल सकते हैं?
और सबसे बड़ा सवाल — क्या कहीं और भी हमारे जैसे बुद्धिमान जीव मौजूद हैं?
इन सवालों के जवाब शायद आने वाले वर्षों में मिलेंगे, जब और मिशन अंतरिक्ष की गहराई में उतरेंगे।

ब्रह्मांड हमारा असली घर


यह खोज हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जीवन केवल एक संयोग नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की स्वाभाविक प्रक्रिया है।
हमारा अस्तित्व किसी संयोग का परिणाम नहीं — बल्कि ब्रह्मांड की योजना का हिस्सा है।
हम धरती के नहीं, ब्रह्मांड के बच्चे हैं।
हमारा घर यह छोटा ग्रह नहीं, बल्कि अनंत आकाश है।

आखिरी शब्द — आपकी सोच क्या कहती है?


क्या आपको लगता है कि जीवन वास्तव में अंतरिक्ष से आया है?
क्या हम सब किसी दूर स्थित तारे की संतान हैं?
अपनी राय नीचे साझा करें,
और आज तक विज्ञान से जुड़े रहें ताकि ब्रह्मांड के ऐसे ही अद्भुत रहस्यों की कहानियाँ आप सबसे पहले जान सकें!

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