समारोह का शुभारंभ केंद्रीय संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी द्वारा तकनीकी प्रदर्शनी के उद्घाटन से हुआ। इस अवसर पर उन्होंने कहा,
“दूरसंचार आज राष्ट्रीय सुरक्षा का आधार है। सी-डॉट के इंजीनियर केवल टेक्नोलॉजिस्ट नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल सीमाओं के प्रहरी हैं। हर सिग्नल, हर नेटवर्क, हर डेटा पैकेट हमारी रणनीतिक नींव का हिस्सा है।”
उन्होंने 2047 तक सी-डॉट को वैश्विक मंच पर प्रसिद्ध संस्थान के रूप में उभरने का लक्ष्य तय करते हुए कहा कि
“दुनिया को सुरक्षित, किफायती और भरोसेमंद टेलीकॉम समाधान के लिए भारत की ओर देखना चाहिए।”
डिजिटल संचार आयोग के अध्यक्ष एवं दूरसंचार सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने भी संस्थान की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि
“सी-डॉट को स्थानीय समस्याओं के लिए वैश्विक स्तर के समाधान तैयार करने चाहिए। अनुसंधान और नवाचार में निरंतर निवेश से ही हम प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सकते हैं।”
सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने कहा,
“सी-डॉट आत्मनिर्भरता और तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक बन चुका है। हमारी AI तकनीक ने 5 करोड़ संदिग्ध कनेक्शन हटाने में सरकार की मदद की है, जिससे साइबर धोखाधड़ी में भारी कमी आई है।”
तकनीकी नवाचारों पर केंद्रित रहा आयोजन
स्थापना दिवस पर 6G, AI, साइबर सुरक्षा और क्वांटम कम्युनिकेशन जैसे विषयों पर विविध तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें IIT दिल्ली, IIT हैदराबाद, IISC और अमेरिका के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
नारी शक्ति को सलाम
कार्यक्रम की एक विशेष झलक रही ‘निधि कार्यक्रम’ के तहत 10 महिला उद्यमियों को सम्मानित करना, जिन्हें उनके स्टार्टअप्स के अनुसंधान एवं विकास हेतु अनुदान प्रदान किया गया।
यह पहल महिला-नेतृत्व वाले ICT स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की दिशा में सी-डॉट का अहम कदम है।
चार दशकों की उपलब्धियाँ
सी-डॉट ने पिछले 40 वर्षों में देश की टेलीकॉम क्रांति में निर्णायक भूमिका निभाई है—ग्रामीण भारत में कनेक्टिविटी, भारतनेट परियोजना, 4G/5G नेटवर्क, IoT, नेटवर्क प्रबंधन और अब 6G की दिशा में गहन अनुसंधान के जरिए यह संस्थान आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव रख रहा है।