न्यायालय की सख्त टिप्पणी
न्यायमूर्ति अमित बंसल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "यह टिप्पणी न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोरती है। यह अक्षम्य है।" उन्होंने बाबा रामदेव के वकील से कहा कि यदि उनके मुवक्किल से इस पर स्पष्ट निर्देश नहीं मिले, तो न्यायालय कड़ा आदेश पारित करेगा।
विवादित टिप्पणी और पृष्ठभूमि
बाबा रामदेव ने 3 अप्रैल को पतंजलि के गुलाब शरबत के प्रचार के दौरान कहा था कि "एक कंपनी है जो आपको शरबत देती है, लेकिन उससे कमाया गया पैसा मदरसों और मस्जिदों के निर्माण में जाता है।" उन्होंने 'शरबत जिहाद' शब्द का प्रयोग करते हुए कहा कि जैसे 'लव जिहाद' होता है, वैसे ही यह 'शरबत जिहाद' है।
हमदर्द की कानूनी कार्रवाई
हमदर्द ने इस टिप्पणी को 'घृणा भाषण' और 'सांप्रदायिक विभाजन' पैदा करने वाला बताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायालय में कहा कि यह मामला केवल उत्पाद की बदनामी से परे है और यह एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने का प्रयास है।
पतंजलि की प्रतिक्रिया
बाबा रामदेव के वकील राजीव नायर ने न्यायालय को सूचित किया कि सभी विवादित विज्ञापन, वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट तुरंत हटा दिए जाएंगे। न्यायालय ने रामदेव को निर्देश दिया कि वे पांच दिनों के भीतर एक हलफनामा दायर करें, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसी कोई टिप्पणी, विज्ञापन या पोस्ट नहीं की जाएगी।
आगामी सुनवाई
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 1 मई 2025 को निर्धारित की है।
निष्कर्ष: बाबा रामदेव की 'शरबत जिहाद' टिप्पणी पर दिल्ली उच्च न्यायालय की सख्त प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सार्वजनिक मंचों पर की गई सांप्रदायिक और विभाजनकारी टिप्पणियों को न्यायालय गंभीरता से लेता है। यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।