क्या है टीआरएफ?
द रेज़िस्टेंस फ्रंट (TRF) की स्थापना अक्टूबर 2019 में हुई थी। इस संगठन की पहचान एक नया लेकिन खतरनाक उभार के तौर पर हुई, जिसे मुख्य रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और एनक्रिप्टेड कम्युनिकेशन टूल्स के माध्यम से प्रचारित किया गया।
भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियाँ TRF को एक “फ्रंटल ग्रुप” के तौर पर देखती हैं, जो अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। वर्ष 2022 में भारत के गृह मंत्रालय ने TRF को आतंकी संगठन घोषित किया था, इसे Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) के तहत बैन किया गया है।
हमले की ज़िम्मेदारी
23 अप्रैल 2025 को हुए हमले में, आतंकवादियों ने एक पर्यटक वाहन को निशाना बनाया जिसमें 3 लोग घायल हुए। कुछ ही घंटों के भीतर TRF ने इस हमले की ज़िम्मेदारी सोशल मीडिया के ज़रिए ली। सुरक्षा एजेंसियाँ इस दावे की प्रामाणिकता की जांच कर रही हैं और डिजिटल फुटप्रिंट खंगाले जा रहे हैं।
TRF का उद्देश्य और रणनीति
TRF खुद को एक “कश्मीरी मुक्ति आंदोलन” की छवि में प्रस्तुत करता है, लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा मानती हैं। TRF की रणनीति अधिकतर “Hybrid Militancy” यानी आम लोगों में से आतंकियों की भर्ती, इंटरनेट-आधारित प्रचार, और छोटे लेकिन घातक हमलों पर आधारित है।
सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, TRF के खिलाफ कश्मीर में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। NIA, CRPF, सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस संयुक्त रूप से इन संगठनों की फंडिंग, नेटवर्क और लॉजिस्टिक्स को तोड़ने के लिए काम कर रही हैं।
निष्कर्ष
TRF जैसे संगठन घाटी में शांति के प्रयासों के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। हालांकि सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और आम लोगों का सहयोग, इन संगठनों के खिलाफ एक मज़बूत दीवार बनते जा रहे हैं।