सम्मेलन में डीआरडीओ की विभिन्न योजनाओं जैसे कौशल विकास, अनुसंधान एवं विकास (R&D) में वित्तीय सहायता, तकनीकी परामर्श और तकनीक हस्तांतरण जैसे अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। आयोजन का मुख्य उद्देश्य था — ‘उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर’ को मजबूत बनाना और एमएसएमई इकाइयों को रक्षा क्षेत्र से जोड़ना।
डीआरडीओ अध्यक्ष ने सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में कहा कि डीटीटीसी, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की दूरदर्शिता का परिणाम है, जो आज देश के रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक विकास की नई राहें खोल रहा है। उन्होंने उपस्थित उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह एमएसएमई के लिए रक्षा क्षेत्र में कदम रखने का सर्वोत्तम समय है।
डीआरडीओ अध्यक्ष ने भरोसा दिलाया कि संगठन, ‘आत्मनिर्भर भारत’ और विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को साकार करने में एमएसएमई को हरसंभव सहयोग देता रहेगा।
सम्मेलन में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा भेजे गए संदेश में डीआरडीओ की पहल की सराहना की गई और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान में एमएसएमई की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया।
कार्यक्रम में कई प्रमुख रक्षा वैज्ञानिक और अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:
_डॉ. आर.वी. हारा प्रसाद – महानिदेशक (नौसेना प्रणाली एवं सामग्री)
_डॉ. एल.सी. मंगल – महानिदेशक (प्रौद्योगिकी प्रबंधन)
_डॉ. मयंक द्विवेदी – महानिदेशक (मानव संसाधन)
इस सम्मेलन ने न केवल रक्षा उद्योग को प्रोत्साहन दिया, बल्कि यूपी के युवाओं और स्थानीय उद्योगों के लिए भी नए अवसरों का द्वार खोला है।