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Friday, June 20, 2025

24JT News Desk / New Delhi /May 12, 2025

पाकिस्तान द्वारा शनिवार को नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर गोलीबारी और भारतीय क्षेत्र में रात भर ड्रोन घुसपैठ के जरिए संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन करने के बाद भारतीय सेना ने रविवार को कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वह भविष्य में किसी भी उकसावे का 'उग्र और दंडात्मक' जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। सेना ने यह भी स्पष्ट किया कि थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कमांडरों को संघर्ष विराम उल्लंघन की स्थिति में 'गतिज क्षेत्र में जवाबी कार्रवाई' के लिए पूर्ण अधिकार दे दिए हैं।

Photo Source : PTI
राष्ट्रीय / नियंत्रण रेखा पर तनाव: सेना ने दी चेतावनी, भविष्य में उल्लंघन का मिलेगा 'उग्र और दंडात्मक' जवाब

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई:


11 मई को नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सैन्य संचालन महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, एयर मार्शल एके भारती, वाइस एडमिरल एएन प्रमोद, और मेजर जनरल एसएस शारदा ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत हाल की सैन्य कार्रवाइयों का विस्तृत ब्योरा दिया। यह ऑपरेशन 7 मई को शुरू किया गया था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने बताया कि ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया। इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें 1999 के आईसी 814 अपहरण और 2019 के पुलवामा हमले से जुड़े यूसुफ अज़हर, अब्दुल मलिक राल, और मुदासिर अहमद जैसे कुख्यात आतंकवादी शामिल थे।

नुकसान और जवाबी कार्रवाई


प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने पांच सैनिक खोए, जबकि पाकिस्तानी सेना को नियंत्रण रेखा पर आर्टिलरी और छोटे हथियारों की गोलीबारी में 35 से 40 सैनिकों का नुकसान हुआ। एयर मार्शल भारती ने पुष्टि की कि भारतीय वायुसेना ने कुछ पाकिस्तानी विमानों को मार गिराया, लेकिन यह बताने से इनकार किया कि क्या भारत ने कोई विमान खोया। उन्होंने कहा, "हम युद्ध की स्थिति में हैं, और नुकसान युद्ध का हिस्सा है। हमारा उद्देश्य आतंकी शिविरों को नष्ट करना था, जो हमने हासिल कर लिया।"
वाइस एडमिरल प्रमोद ने खुलासा किया कि पहलगाम हमले के बाद भारतीय नौसेना ने अपने युद्धक विमानवाहक समूह, पनडुब्बियों, और निगरानी परिसंपत्तियों को युद्ध के लिए तैयार स्थिति में तैनात किया था। नौसेना की मजबूत उपस्थिति ने पाकिस्तान को शनिवार को हॉटलाइन कॉल के जरिए युद्ध विराम की मांग करने के लिए मजबूर किया।

संघर्ष विराम उल्लंघन और भारत का कड़ा रुख


शनिवार दोपहर को दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम पर सहमति बनी, जो शाम 5 बजे से लागू होना था। हालांकि, लेफ्टिनेंट जनरल घई ने बताया कि उसी शाम पाकिस्तान ने ड्रोन घुसपैठ और गोलीबारी शुरू कर दी, जो रविवार सुबह तक जारी रही। इसके जवाब में भारत ने रविवार सुबह दूसरी हॉटलाइन बातचीत शुरू की और अपनी मंशा स्पष्ट की कि "यदि उल्लंघन दोहराए गए, तो भारत उग्र और दंडात्मक जवाब देगा।"

वायुसेना की सटीक कार्रवाई


एयर मार्शल भारती ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वायुसेना ने सटीक निशाना लगाने वाले हथियारों का इस्तेमाल किया ताकि नागरिक क्षति से बचा जा सके। हमले के फुटेज में आतंकी प्रशिक्षण परिसरों, रडार स्थलों, और हवाई क्षेत्रों को हुए नुकसान को दिखाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि 7 मई से शुरू हुई पाकिस्तानी ड्रोन घुसपैठ के जवाब में भारतीय वायु रक्षा बलों ने कई मानव रहित हवाई वाहनों को रोका।

अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और भविष्य की वार्ता


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को युद्ध विराम की घोषणा की, जिसे उन्होंने "अमेरिका की मध्यस्थता में लंबी बातचीत" का परिणाम बताया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि उन्होंने और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पिछले 48 घंटों में भारतीय और पाकिस्तानी नेताओं के साथ बातचीत की। इस्लामाबाद ने मध्यस्थता के लिए वॉशिंगटन को धन्यवाद दिया, लेकिन भारत ने अभी तक अमेरिका की भूमिका पर सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है।
सोमवार को भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संचालन महानिदेशक स्तर की वार्ता फिर से शुरू होने की उम्मीद है, जिसमें स्थायी युद्ध विराम पर चर्चा होगी। सरकारी सूत्रों ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है। यह नई सामान्य स्थिति है, जिसे पाकिस्तान और दुनिया को स्वीकार करना होगा।"

नियंत्रण रेखा पर तनाव के बीच भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद और उकसावे के खिलाफ कड़ा रुख जारी रखेगी। 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत आतंकी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाने के बाद भारत ने अपनी सैन्य ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच बातचीत और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता इस क्षेत्र में शांति की दिशा तय करेगी।

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