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Tuesday, August 12, 2025

24JT News Desk / Udaipur /August 6, 2025

देश की राजधानी दिल्ली में आज एक ऐतिहासिक पहल के तहत केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने "भारतीय हथकरघा क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट आकलन: विधियां और केस स्टडीज़" नामक पुस्तक का औपचारिक विमोचन किया। यह पुस्तक वस्त्र मंत्रालय के हथकरघा विकास आयुक्त कार्यालय और आईआईटी दिल्ली के वस्त्र एवं रेशा अभियांत्रिकी विभाग के संयुक्त प्रयास का परिणाम है।

"केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने "भारतीय हथकरघा क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट आकलन" पुस्तक का किया भव्य विमोचन" | Photo Source : PIB
देश / केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने "भारतीय हथकरघा क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट आकलन" पुस्तक का किया भव्य विमोचन

मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने संबोधन में कहा,

"स्थायित्व की दिशा में वास्तविक प्रगति तभी संभव है जब हम वस्त्र उत्पादन के हर चरण में कार्बन प्रभाव को मापें। बिना मापन के न तो सुधार के क्षेत्र पहचाने जा सकते हैं और न ही कार्यों की प्रभावशीलता को आंकना संभव है।"

पर्यावरण की दिशा में बड़ा कदम


यह पुस्तक भारत सरकार की उस प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जिसमें पर्यावरण के प्रति जागरूक और सतत विकासोन्मुख हथकरघा उत्पादन को प्राथमिकता दी जा रही है। पुस्तक में पूरे देश से चुनी गई वास्तविक केस स्टडीज़ — जैसे कि सूती चादरें, इकत साड़ियां, बनारसी साड़ियां और फर्श की चटाइयों के माध्यम से कार्बन फुटप्रिंट मापने के सरल, व्यवहारिक उपाय शामिल किए गए हैं।

इसके अलावा, कम लागत वाले डेटा संग्रह व उत्सर्जन मापन के विशेष रूप से डिजाइन किए गए तरीकों को भी इस रिपोर्ट में दर्शाया गया है, जिससे यह क्षेत्र पर्यावरण की दिशा में कदमताल कर सके।

हथकरघा उद्योग: भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक रीढ़


भारत का हथकरघा उद्योग न केवल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है, बल्कि 35 लाख से अधिक परिवारों की आजीविका का स्रोत भी है, जिनमें 25 लाख से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं। यह क्षेत्र न केवल कम ऊर्जा खपत करता है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल, लचीले और नवाचारों के लिए तैयार है।

इसी कारण हथकरघा उत्पादों की घरेलू ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी जबरदस्त मांग है। ऐसे में यह पुस्तक इस क्षेत्र को वैश्विक जलवायु मानकों के अनुरूप बनाकर भारत को सतत विकास के पथ पर आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है।

व्यापक साझेदारी और शोध का परिणाम


यह परियोजना सिर्फ एक अकादमिक अध्ययन नहीं है, बल्कि इसमें आईआईटी दिल्ली, भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान, बुनकर सेवा केंद्र, ग्रीनस्टिच प्राइवेट लिमिटेड और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ गहन सहयोग और विशेषज्ञ विचार-विमर्श शामिल रहा।

इस रिपोर्ट में वैश्विक जलवायु रिपोर्टिंग मानकों को भारतीय सन्दर्भ में ढालने का प्रयास किया गया है — जिससे आने वाले समय में भारत का हथकरघा क्षेत्र वैश्विक मंच पर और सशक्त बनकर उभरेगा।

मंत्रालय का अपील


मंत्रालय ने सभी हितधारकों, मीडिया प्रतिनिधियों और आम जनता से अपील की है कि वे इस रिपोर्ट को पढ़ें, इसके निष्कर्षों को अपनाएं और हरित, लचीले और टिकाऊ भारतीय वस्त्र उद्योग की दिशा में योगदान दें।

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