अदालत ने शेख हसीना और उनके परिवार पर धोखाधड़ी के जरिए आवासीय भूखंड हासिल करने का गंभीर आरोप लगाया है। इसके अलावा, पूर्ववर्ती सरकार के दौरान कथित तौर पर सरकारी खजाने का दुरुपयोग और छात्र आंदोलनों के दौरान हिंसा से संबंधित मामलों में भी उनकी संलिप्तता की जांच चल रही है। कोर्ट ने साफ तौर पर निर्देश दिए हैं कि सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जाए।
शेख हसीना, जो जन विद्रोह के बाद पिछले साल अगस्त में देश छोड़कर भारत में शरण ले चुकी हैं, को अदालत ने फरार घोषित किया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई भ्रष्टाचार निरोधक आयोग की शिकायत पर आधारित है, जिसमें पूर्बाचल क्षेत्र में सरकारी जमीन के गलत आवंटन का मामला शामिल है। इसके साथ ही, बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने भी उनके खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए पहले वारंट जारी किए थे, जिसमें जुलाई-अगस्त 2024 के छात्र आंदोलनों के दौरान हुई हिंसा शामिल है।
अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि जांच एजेंसियां चार मई तक अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। शेख हसीना के साथ उनकी बेटी साइमा और अन्य सहयोगियों पर भी गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें सरकारी धन की कथित बर्बादी और ‘मुजीब शताब्दी’ समारोह के आयोजन में अनियमितताएं शामिल हैं।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग को बार-बार दोहराया है। हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। दूसरी ओर, हसीना के समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है और इसका मकसद उनकी छवि को धूमिल करना है।
यह घटनाक्रम बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता को और गहरा सकता है। देश में पहले से ही विरोध प्रदर्शन और हिंसक घटनाओं ने माहौल को तनावपूर्ण बना रखा है। शेख हसीना के खिलाफ यह नया वारंट न केवल उनके भविष्य को लेकर सवाल खड़े करता है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति पर भी असर डाल सकता है।