रिपोर्ट यूएनडीपी के आधिकारिक दस्तावेजों, डेटा, और विशेषज्ञ विश्लेषण पर आधारित है, जो मानव विकास के लिए वैश्विक और क्षेत्रीय रुझानों को दर्शाती है। यह भारत जैसे उभरते देशों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ AI नवाचार और मानव विकास की संभावनाएँ तेज़ी से बढ़ रही हैं।
वैश्विक मानव विकास: ठहराव और असमानताएँ
UNDP Report 2025 के अनुसार, वैश्विक मानव विकास में प्रगति 2020-2021 के कोविड-19 महामारी के बाद से ठप-सी हो गई है। HDI, जो जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और प्रति व्यक्ति आय पर आधारित है, 1990 के बाद सबसे धीमी वृद्धि दर्शाता है।
प्रमुख आँकड़े:
Human Development Index 2023 मूल्य 0.802 रहा, जो 2022 के 0.800 से मामूली सुधार दर्शाता है।
193 देशों में से 43% (83 देश) निम्न या मध्यम HDI श्रेणी में हैं, जिनमें से अधिकांश ग्लोबल साउथ से हैं।
उच्च HDI वाले देशों (जैसे स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, और कनाडा) ने प्रगति की, जबकि निम्न HDI वाले देशों (जैसे यमन, दक्षिण सूडान) में ठहराव या गिरावट देखी गई।
असमानता का बढ़ता बोझ:
आय असमानता (गिनी गुणांक) वैश्विक स्तर पर 0.44 पर स्थिर रही, लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर यह ग्लोबल साउथ में अधिक गंभीर है।
लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) में सुधार धीमा रहा, जिसमें 2023 में वैश्विक GII मूल्य 0.465 रहा।
शिक्षा और स्वास्थ्य तक असमान पहुँच ने असमानताओं को और गहरा किया है।
भारत का प्रदर्शन: प्रगति और चुनौतियाँ
भारत ने मानव विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन असमानता और संसाधन की कमी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। यूएनडीपी के डेटा के अनुसार:
HDI रैंकिंग: भारत 2023 में 193 देशों में 130वें स्थान पर रहा, जो 2022 के 133वें स्थान से सुधार है। इसका HDI मूल्य 0.685 है, जो मध्यम मानव विकास श्रेणी को दर्शाता है।
प्रमुख संकेतक:
जीवन प्रत्याशा: 72 वर्ष (1990 में 58.7 वर्ष से सुधार)।
शिक्षा: औसत स्कूली शिक्षा के वर्ष 13 तक पहुँचे (1990 में 8.2 वर्ष)।
आय: प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) 2023 में 9,046 USD रही, जो 1990 में 2,167 USD थी।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
2015-16 से 2019-21 के बीच 135 मिलियन भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर आए।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार को बढ़ावा दिया।
चुनौतियाँ:
2023 में भारत का गिनी गुणांक 0.410 रहा, जो आय असमानता को दर्शाता है।
लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) में भारत का मूल्य 0.437 है, जो शिक्षा और रोज़गार में लैंगिक अंतर को उजागर करता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढाँचे और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच सीमित है।
AI और मानव विकास: अवसरों का नया क्षितिज:
रिपोर्ट में AI को मानव विकास के लिए एक परिवर्तनकारी उपकरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो सही नीतियों के साथ वैश्विक असमानताओं को कम कर सकता है। यूएनडीपी के विश्लेषण के आधार पर:
वैश्विक उपयोग:
वैश्विक स्तर पर 20% लोग पहले से ही AI उपकरणों (जैसे चैटबॉट्स, डेटा एनालिटिक्स) का उपयोग कर रहे हैं।
60% लोग मानते हैं कि AI उनके रोज़गार और उत्पादकता पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा, जबकि केवल 13% को नौकरी छिनने का डर है।
निम्न और मध्यम HDI वाले देशों में 70% लोग AI से उत्पादकता में वृद्धि की उम्मीद करते हैं।
क्षेत्र-विशिष्ट प्रभाव:
स्वास्थ्य: AI-संचालित टेलीमेडिसिन और डायग्नोस्टिक्स ने निम्न-आय वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच बढ़ाई है। उदाहरण के लिए, भारत में AI-आधारित ऐप्स ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारंभिक निदान को सक्षम किया।
शिक्षा: AI-आधारित व्यक्तिगत शिक्षण मॉड्यूल ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया। भारत में NEP 2020 के तहत डिजिटल कक्षाएँ इसका उदाहरण हैं।
रोज़गार: AI ने डेटा एनालिटिक्स और सॉफ्टवेयर विकास जैसे नए क्षेत्रों में नौकरियाँ पैदा कीं, लेकिन निम्न-कुशल नौकरियों को स्वचालन का जोखिम है।
भारत में AI की प्रगति:
भारत AI नवाचार में वैश्विक अग्रणी बन रहा है। यूएनडीपी और अन्य स्रोतों के अनुसार:
भारत में AI कौशल प्रशिक्षण में निवेश बढ़ा है, जिसमें 2023 में 1.6 मिलियन से अधिक लोग AI-संबंधित पाठ्यक्रमों में नामांकित हुए।
सरकार की AI मिशन और स्टार्टअप्स (जैसे बेंगलुरु-आधारित AI फर्म्स) ने स्वास्थ्य, कृषि, और शिक्षा में AI के उपयोग को बढ़ावा दिया।
उदाहरण:
स्वास्थ्य: AI-आधारित डायग्नोस्टिक टूल्स ने ग्रामीण भारत में कैंसर और टीबी जैसी बीमारियों का प्रारंभिक पता लगाने में मदद की।
शिक्षा: डिजिटल इंडिया पहल के तहत AI-संचालित शिक्षण मंच (जैसे DIKSHA) ने ग्रामीण छात्रों तक पहुँच बनाई।
कृषि: AI-आधारित मौसम पूर्वानुमान और फसल प्रबंधन उपकरणों ने किसानों की आय में 15-20% की वृद्धि की।
AI के जोखिम और चुनौतियाँ:
रिपोर्ट AI के लाभों के साथ-साथ इसके जोखिमों पर भी प्रकाश डालती है:
डिजिटल विभाजन:
118 देश, जिनमें से अधिकांश ग्लोबल साउथ से हैं, वैश्विक AI शासन चर्चाओं से बाहर हैं।
2.6 बिलियन लोग अभी भी इंटरनेट से वंचित हैं, और 1.3 बिलियन लोगों तक विश्वसनीय बिजली की पहुँच नहीं है।
भारत में, ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 45% परिवारों के पास इंटरनेट कनेक्टिविटी है।
रोज़गार पर प्रभाव:
यूएनडीपी के अनुमान के अनुसार, AI से वैश्विक स्तर पर 40% नौकरियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
निम्न-आय वाले देशों में स्वचालन पारंपरिक औद्योगिक विकास के रास्तों को सीमित कर सकता है।
भारत में, टेक्सटाइल और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में स्वचालन से नौकरी के जोखिम बढ़े हैं।
नैतिक चिंताएँ:
AI में पक्षपात (bias) और पारदर्शिता की कमी मानव अधिकारों को प्रभावित कर सकती है।
डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा भी प्रमुख चिंताएँ हैं।
यूएनडीपी की सिफारिशें:
रिपोर्ट में AI को समावेशी मानव विकास के लिए उपयोग करने के लिए निम्नलिखित सिफारिशें दी गई हैं:
बुनियादी ढाँचे में निवेश:
डिजिटल कनेक्टिविटी और बिजली तक पहुँच बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय योजनाएँ। भारत में डिजिटल इंडिया और भारतनेट इस दिशा में कदम हैं।
कौशल विकास::
AI युग के लिए पुनः कौशल (reskilling) और उन्नत कौशल (upskilling) पर ध्यान। यूएनडीपी ने सुझाव दिया कि 2030 तक 50% कार्यबल को AI-संबंधित कौशल की आवश्यकता होगी।
भारत में स्किल इंडिया मिशन और NEP 2020 इस लक्ष्य को समर्थन दे रहे हैं।
वैश्विक सहयोग:
UNCTAD ने एक वैश्विक AI सुविधा की स्थापना का प्रस्ताव दिया, जो सभी देशों को AI उपकरणों और प्रशिक्षण तक समान पहुँच प्रदान करे।
भारत को वैश्विक AI शासन में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
नैतिक AI ढाँचा:
AI प्रणालियों में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए सार्वजनिक प्रकटीकरण नीतियाँ।
भारत में डेटा संरक्षण कानून (DPDP Act, 2023) को और मज़बूत करने की आवश्यकता।
सामाजिक सुरक्षा:
AI से प्रभावित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ, जैसे आय सहायता और पुनः प्रशिक्षण। भारत में MGNREGA और PM-KISAN जैसी योजनाएँ इस दिशा में सहायक हैं।
भारत के लिए विशेष निहितार्थ:
भारत के लिए 2025 मानव विकास रिपोर्ट कई अवसर और चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है:
अवसर:
भारत की युवा आबादी (65% लोग 35 वर्ष से कम आयु के) AI-संचालित अर्थव्यवस्था के लिए एक संपत्ति है।
स्टार्टअप इकोसिस्टम, विशेष रूप से बेंगलुरु और हैदराबाद में, AI नवाचार को बढ़ावा दे रहा है।
सरकार की योजनाएँ, जैसे डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और AI मिशत्री, भारत को AI हब बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।
चुनौतियाँ:
ग्रामीण-शहरी डिजिटल विभाजन को पाटना।
लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, क्योंकि केवल 22% AI पेशेवर महिलाएँ हैं।
निम्न-कुशल श्रमिकों के लिए पुनः कौशल कार्यक्रमों का विस्तार।
विशेषज्ञों की राय:
अचिम स्टेनर, यूएनडीपी प्रशासक: “AI मानव विकास के लिए एक गेम-चेंजर हो सकता है, लेकिन इसके लाभ सभी तक पहुँचाने के लिए हमें समावेशी नीतियाँ अपनानी होंगी। यह तकनीक के बारे में कम और मानव पसंद के बारे में अधिक है।”
पेड्रो कॉन्सेइकाओ, यूएनडीपी रिपोर्ट कार्यालय निदेशक: “AI को मानव क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक सेतु के रूप में देखा जाना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह असमानताओं को कम करे, न कि बढ़ाए।”
भारतीय विशेषज्ञ: नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा, “भारत AI के माध्यम से मानव विकास को गति दे सकता है, बशर्ते हम डिजिटल बुनियादी ढाँचे और कौशल विकास में निवेश बढ़ाएँ।”
2025 मानव विकास रिपोर्ट एक स्पष्ट संदेश देती है: AI का भविष्य तकनीकी प्रगति से अधिक नीतिगत पसंदों पर निर्भर करता है। भारत, जो AI नवाचार और मानव विकास में तेज़ी से प्रगति कर रहा है, के पास वैश्विक असमानताओं को कम करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने का अनूठा अवसर है। सरकारों, निजी क्षेत्र, और नागरिक समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि AI मानव मूल्यों, स्वतंत्रता, और समानता के साथ संरेखित हो।
रिपोर्ट के शब्दों में, “AI मानव विकास का भविष्य नहीं है; यह हमारी पसंद है जो भविष्य को परिभाषित करेगी।”