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Friday, June 20, 2025

24JT News Desk / Udaipur /June 12, 2025

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अंतर्गत कार्यरत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) ने देश में ड्यूटेरेटेड रिएजेंट्स और बिल्डिंग ब्लॉक्स के थोक विनिर्माण के लिए अहम कदम उठाया है। टीडीबी ने इस क्षेत्र में समर्पित विनिर्माण सुविधा केन्द्र की स्थापना हेतु क्लियरसिंथ लैब्स लिमिटेड को वित्तीय सहायता प्रदान की है।

यह पहल भारत में उन्नत विशिष्ट रसायनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक मानी जा रही है। ड्यूटेरियम युक्त रसायनों की मांग दुनियाभर में तेज़ी से बढ़ रही है, खासकर फार्मास्यूटिकल्स, ओएलईडी, सेमीकंडक्टर और फाइबर ऑप्टिक्स जैसे क्षेत्रों में।

"भारत में ड्यूटेरेटेड रसायनों के निर्माण को मिलेगा बढ़ावा" | Photo Source : PIB
राष्ट्रीय / भारत में ड्यूटेरेटेड रसायनों के निर्माण को मिलेगा बढ़ावा, टीडीबी ने क्लियरसिंथ लैब्स को दी वित्तीय सहायता

अभी तक भारत करता रहा है आयात


भारत वर्तमान में अधिकांश ड्यूटेरेटेड सॉल्वैंट्स का आयात करता है। इस परियोजना से न केवल इस आयात पर निर्भरता घटेगी, बल्कि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भी अपनी भूमिका को मज़बूत कर सकेगा। घरेलू उत्पादन प्रणाली में उच्च शुद्धता वाले ड्यूटेरेटेड कम्पाउंड की कमी को देखते हुए यह परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बल


टीडीबी का यह सहयोग मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों को सशक्त बनाएगा। यह सुविधा केंद्र उन्नत रासायनिक अनुसंधान, फार्मा इनोवेशन और इंडस्ट्रियल एप्लिकेशन में लगे वैश्विक और घरेलू ग्राहकों को सेवा प्रदान करेगा।

राजनीतिक-सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण


यह परियोजना भारी जल बोर्ड (HWB), परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के सहयोग से संचालित होगी, जिससे क्लियरसिंथ को भारी जल की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इससे भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।

प्रमुख हस्तियों की प्रतिक्रिया


इस अवसर पर टीडीबी के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा, "यह परियोजना भारत को ड्यूटेरेटेड कम्पाउंड्स के वैश्विक बाजार में नेतृत्व करने की दिशा में सक्षम बनाएगी।"

क्लियरसिंथ लैब्स के एमडी और सीईओ श्री विजय अंबाती ने भी भरोसा जताया कि "इस सुविधा से भारत वैश्विक गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हुए विशिष्ट रसायनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी छलांग लगाएगा।"

परियोजना से जुड़े संभावित लाभ:


आइसोटोप-लेबल रसायनों में स्वदेशी उत्पादन क्षमता का विकास

विदेशी मुद्रा की बचत

उच्च-कुशल नौकरियों का सृजन

बौद्धिक संपदा (IP) का निर्माण

भारत को वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करना

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