इस अवधि के दौरान, राष्ट्रीय ध्वज सभी सरकारी भवनों पर आधा झुका रहेगा, और कोई भी आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा।
पोप फ्रांसिस, जिनका 21 अप्रैल को 88 वर्ष की आयु में निधन हुआ, अपने करुणामय नेतृत्व और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के लिए विश्वभर में सम्मानित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें "करुणा और विनम्रता का प्रतीक" बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
वेटिकन के अनुसार, पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार शनिवार को सेंट पीटर स्क्वायर में सुबह 10 बजे आयोजित किया जाएगा। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उन्हें रोम के सेंट मैरी मेजर बेसिलिका में एक साधारण कब्र में दफनाया जाएगा।
भारत के साथ-साथ केरल सरकार ने भी पोप फ्रांसिस के सम्मान में तीन दिवसीय शोक की घोषणा की है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने उन्हें "करुणा का प्रकाशस्तंभ" कहा।
पोप फ्रांसिस की मृत्यु पर विश्वभर के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल हैं। उनके नेतृत्व को सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और अंतरधार्मिक संवाद के लिए याद किया जाएगा।
भारत में ईसाई समुदाय, विशेष रूप से कैथोलिक चर्च, पोप फ्रांसिस के निधन को एक अपूरणीय क्षति मानता है। उनकी याद में देशभर में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जा रही हैं।
पोप फ्रांसिस का निधन न केवल कैथोलिक चर्च के लिए, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी एक बड़ी क्षति है। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।