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Saturday, December 13, 2025

News Desk / News Delhi /November 27, 2025

क्या एक सरल पोषक तत्व बदल सकता है इस जटिल बीमारी की दिशा? आइए जानते हैं, संजय सक्सेना, वरिष्ठ विश्लेषक और विचारक, के इस लेख के माध्यम से।
आज दुनिया भर में लगभग 10 मिलियन लोग पार्किन्सन रोग से प्रभावित हैं। यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और कई वर्षों तक बिना स्पष्ट लक्षणों के शरीर के भीतर विकसित होता रहता है।
नये शोध यह संकेत देते हैं कि इसकी जड़ें हमारे मस्तिष्क से भी पहले हमारी आँतों में छिपी हो सकती हैं — और इसका उपचार आश्चर्यजनक रूप से साधारण विटामिनों में मिल सकता है।

हेल्थ एंड फिटनेस / पार्किन्सन रोग की जड़ें आंतों में? नए शोध ने खोला चौंकाने वाला संबंध ! | Are the Roots of Parkinson’s Hidden in the Gut? New Research Reveals a Shocking Connection ! - संजय सक्सैना

शोध में क्या पाया गया?


जापान के वैज्ञानिकों ने पार्किन्सन से पीड़ित 94 व्यक्तियों और 73 स्वस्थ लोगों के मल के नमूनों का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में सामने आया:

• पार्किन्सन रोगियों की आँतों में वे जीवाणु बहुत कम हो गये थे जो
o विटामिन B2 (राइबोफ्लेविन)
o विटामिन B7 (बायोटिन)
का निर्माण करते हैं।

• परिणामस्वरूप शरीर में
o लघु श्रृंखला वसीय अम्ल (SCFAs)
o पॉलियामीन
जैसे आवश्यक तत्वों की कमी हो गई, जो आँत की सुरक्षा परत (म्यूकस लेयर) को मजबूत बनाए रखते हैं।

• जब यह परत कमजोर पड़ती है तो आँत “रिसाव वाली” हो जाती है और बाहरी विषैले रसायन शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय शोध: क्या यह पैटर्न विश्वभर में समान दिखता है?


कई देशों में किए गए अध्ययनों, जिनमें चीन, अमेरिका और यूरोप की प्रयोगशालाएँ शामिल हैं, में भी समान निष्कर्ष सामने आए हैं:
• पार्किन्सन रोगियों में बैक्टीरिया की विविधता बदल जाती है।
• कई उपयोगी जीवाणु कम होते हैं, जबकि कुछ सूजन बढ़ाने वाले जीवाणु बढ़ जाते हैं।
• विभिन्न देशों की आबादी में भिन्नताएँ हैं, पर “गट-बदलाव” लगभग सभी में देखा जाता है।
एक बड़े अध्ययन में लगभग 147 पार्किन्सन रोगियों की तुलना 162 स्वस्थ व्यक्तियों से की गई। बैक्टीरिया की कई प्रजातियों में स्पष्ट अंतर पाया गया — यह संकेत ज़ोरदार है कि आँतों के जीवाणु और पार्किन्सन के बीच सम्बंध केवल “संयोग” नहीं है।

गट-ब्रेन अक्ष (Gut–Brain Axis) और तंत्रिका हानि: वैज्ञानिक दृष्टि


कई शोध अब इस बात की ओर इशारा करते हैं कि:
गट में बदलाव → पोषक तत्वों की कमी → आँतों की दीवार कमजोर → विषैले रसायन शरीर में प्रवेश → तंत्रिका सूजन → अल्फ़ा-साइन्यूक्लिन प्रोटीन का असामान्य जमाव → पार्किन्सन के लक्षणों की शुरुआत।
विशेष रूप से, अल्फ़ा-साइन्यूक्लिन का असामान्य जमाव पार्किन्सन की पहचान है। गट-बाधा कमजोर होने के कारण इस प्रक्रिया के तेज होने की संभावना बढ़ जाती है।

क्या विटामिन B2 और B7 सरल उपचार की दिशा दिखाते हैं?


शोधकर्ताओं का सुझाव है कि जिन रोगियों में गट-माइक्रोबायोम टूटने के कारण विटामिन B2 और B7 की कमी पाई जाए, उन्हें इन विटामिनों की पूरक खुराक दी जा सकती है।
संभावित लाभ:
• आँतों की परत दोबारा मजबूत होना
• सूजन में कमी
• मस्तिष्क में न्यूरॉन क्षति कम होना
• रोग की प्रगति धीमी होना
पुराने अध्ययन बताते हैं कि विटामिन B2 की अधिक मात्रा लेने से कुछ रोगियों की मोटर क्षमता में सुधार भी हुआ था — विशेषकर जब उन्होंने भोजन में लाल मांस कम कर दिया था।

प्रोबायोटिक्स और भविष्य की चिकित्सा


कुछ प्रयोगशाला प्रयोगों और पशु-मॉडल अध्ययनों में यह देखा गया है कि:
• उपयोगी प्रोबायोटिक जीवाणु
• गट-माइक्रोबायोम को संतुलित करते हैं
• तंत्रिका सूजन कम कर सकते हैं
• और मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षति से बचा सकते हैं
हालाँकि, मानवों में इसके मजबूत प्रमाण अभी विकसित हो रहे हैं। फिर भी, यह दिशा—“गट को ठीक करो, दिमाग को बचाओ”—भविष्य की चिकित्सा का हिस्सा बन सकती है।

पार्किन्सन रोग के प्रारम्भिक संकेत


पार्किन्सन रोग अक्सर धीरे-धीरे शुरू होता है। प्रारम्भिक संकेत वर्षों पहले दिखाई देने लगते हैं:
• मलत्याग में कठिनाई (कब्ज़)
• नींद में बाधा, जैसे बहुत हल्की नींद या बार-बार सपना आना
• सूंघने की क्षमता में कमी
• हाथ-पैरों में हल्की जकड़न
• थकान या ऊर्जा में कमी
• हल्का कंपकंपाना
• लिखावट का छोटा और अस्थिर हो जाना
• चेहरे की अभिव्यक्ति कम होना
इनमें से कई लक्षण रोग के 10 से 20 वर्ष पहले शुरू हो सकते हैं।

विटामिन B2 और B7 के प्राकृतिक स्रोत


विटामिन B2 (राइबोफ्लेविन) के स्रोत
• दूध और दही
• पनीर
• बादाम
• अंडा
• दालें
• हरी पत्तेदार सब्जियाँ
• केले
• बाजरा, जौं और अन्य मोटे अनाज
• मशरूम
• सोया आधारित खाद्य पदार्थ

विटामिन B7 (बायोटिन) के स्रोत
• मूँगफली और अन्य मेवे
• अंडे की जर्दी
• चना और अन्य दालें
• शकरकंदी
• पालक और ब्रोकली
• केले
• साबुत अनाज
• काले चने, राजमा
• तिल और अलसी के बीज

आँतों की सेहत बेहतर रखने के उपाय


• अधिक फाइबर वाला भोजन
• किण्वित खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन
• रसायनों और कीटनाशकों से बचाव
• पर्याप्त पानी पीना
• तनाव प्रबंधन
• नींद का नियमित चक्र
• धूम्रपान और शराब से दूरी

विषाक्त रसायनों का बढ़ता प्रभाव


आज हमारे आसपास बहुत से रसायन हैं जो लगातार शरीर में जाकर नुकसान पहुँचा सकते हैं:
• सफाई के रसायन
• कीटनाशक और खरपतवार नाशक
• औद्योगिक प्रदूषण
• दूषित भोजन और पानी
• प्लास्टिक आधारित रसायन
ये रसायन आँत की कमजोर परत से होकर तंत्रिका तंत्र में सूजन पैदा करते हैं और मस्तिष्क की उन कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं जो डोपामिन बनाती हैं। डोपामिन की कमी पार्किन्सन रोग की प्रमुख वजह है।

अल्फ़ा-साइन्यूक्लिन और मस्तिष्क में बदलाव


पार्किन्सन रोग में एक प्रोटीन, जिसे अल्फ़ा-साइन्यूक्लिन कहा जाता है, असामान्य रूप से गुच्छों में जमा होने लगता है।
यह जमा हुआ प्रोटीन मस्तिष्क के उस हिस्से को नुकसान पहुँचाता है जो शरीर की गति और संतुलन को नियंत्रित करता है।
शोध में संकेत मिले हैं कि आँतों की खराब स्थिति और विषैले रसायनों का प्रवेश इस प्रोटीन की असामान्य वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है।

क्या यह एक सरल इलाज का संकेत है?


यदि शरीर में
• विटामिन B2
• विटामिन B7
की कमी को पूरा कर दिया जाए, तो:
• आँतों की सुरक्षा परत दोबारा मजबूत होती है
• सूजन कम होती है
• तंत्रिका कोशिकाएँ सुरक्षित रहती हैं
• और पार्किन्सन रोग की प्रगति धीमी हो सकती है
यह उपचार महँगा नहीं, उल्टा बहुत सहज और सामान्य है।
एक पुराने अध्ययन में यह भी पाया गया कि विटामिन B2 की अधिक मात्रा से कुछ रोगियों में चलने-फिरने की क्षमता में सुधार आया था।

संजय सक्सेना, वरिष्ठ विश्लेषक और विचारक -


पार्किन्सन रोग भले ही जटिल हो, परन्तु इसके पीछे छिपा कारण कभी-कभी अत्यंत मूलभूत भी हो सकता है।
• गट-माइक्रोबायोम का संतुलन
• आवश्यक विटामिनों की पूर्ति
• रसायनों से बचाव
• और स्वस्थ जीवनशैली
ये सभी उपाय मिलकर इस रोग की जड़ तक पहुँचने और रोग की प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकते हैं।

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