विजेता छात्र कौन हैं? जानिए उन नायकों के नाम जिन्होंने भारत को गौरव दिलाया:
रयांश गुप्ता (सत पॉल मित्तल स्कूल, लुधियाना, पंजाब)
* 1 स्वर्ण
* 1 रजत
I-GYIM रिपोर्टर तृतीय पुरस्कार
चारुव्रत बैंस (एमजीएन पब्लिक स्कूल, कपूरथला, पंजाब)
* 2 रजत
* 1 कांस्य
अपम निधि पांडे (पीएम श्री केवी नंबर 1, जयपुर, राजस्थान)
* 1 रजत
प्रियांशी घनघास (एमडी इंद्रप्रस्थ सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल, दिल्ली)
* 1 कांस्य
इन छात्रों को प्रो. देवेश वालिया और प्रो. हेमा अच्युतन ने मार्गदर्शन प्रदान किया, जबकि वैज्ञानिक-जी डॉ. जगवीर सिंह पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित रहे।
क्या बोले मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह?
सम्मान समारोह के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा:
“इन छात्रों की ऐतिहासिक उपलब्धि यह दर्शाती है कि भारत की स्टार्टअप क्रांति अब टियर-2 और टियर-3 शहरों के युवाओं में भी नई आकांक्षाओं को जन्म दे रही है।”
उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) ने युवाओं को पारंपरिक विषयों की सीमाओं से मुक्त कर पृथ्वी विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान और स्टार्टअप आधारित स्वरोजगार जैसे नवाचार क्षेत्रों की ओर प्रेरित किया है।
विद्यार्थियों को मिले नए अवसरों का आह्वान:
डॉ. सिंह ने छात्रों से आग्रह किया कि वे सरकार द्वारा प्रदान किए जा रहे प्रोत्साहनों जैसे:
_विज्ञान ज्योति कार्यक्रम
_छात्रवृत्तियाँ और फेलोशिप
_अनुसंधान अनुदान
का लाभ उठाएं और अपने नवाचारों को समाज की बेहतरी के लिए व्यावहारिक रूप में अपनाएं।
कैसे चुने जाते हैं ये छात्र?
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने बताया:
“हर साल भारत के 300 केंद्रों पर भारतीय राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान ओलंपियाड (INESO) का आयोजन होता है, जहां से चयनित 30 छात्रों में से 4 को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलता है।”
उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में भारत का प्रदर्शन लगातार उत्साहवर्धक रहा है।
IESO क्या है?
IESO (International Earth Science Olympiad) की स्थापना 2003 में
अंतर्राष्ट्रीय भूविज्ञान शिक्षा संगठन (IGEO) द्वारा की गई थी। यह प्रतियोगिता कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए है, जिसमें भारत 2007 से भाग ले रहा है और 2013 में मैसूर में इसकी मेज़बानी भी कर चुका है।