सिर्फ उत्सव नहीं, ओलंपिक की तैयारी
भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) और जम्मू-कश्मीर खेल परिषद के संयुक्त तत्वावधान में पहली बार आयोजित हुए इस समेकित राष्ट्रीय आयोजन ने कयाकिंग, कैनोइंग और रोइंग जैसी ओलंपिक विधाओं में देशभर के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए एथलीटों को एक मंच पर ला खड़ा किया। इस फेस्टिवल में जीते गए 24 स्वर्ण पदकों में से 10 सिर्फ नौकायन में थे, जो अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारत की मजबूत दावेदारी की ओर इशारा करते हैं।
तीन राज्यों की ‘त्रिवेणी’
मध्य प्रदेश, ओडिशा और केरल की त्रिमूर्ति ने इस फेस्टिवल में जल पर ऐसा प्रदर्शन किया कि वे देश के जल खेल मानचित्र पर स्पष्ट रूप से उभरे। भोपाल की झीलों से लेकर अलप्पुझा के बैकवॉटर्स और कटक के जगतपुर तक — हर प्रशिक्षण केंद्र की मेहनत का परिणाम डल की गहराइयों में झलकता रहा।
मध्य प्रदेश की टीम, जिसने कुल 10 स्वर्ण पदक हासिल कर टीम चैंपियन का खिताब जीता, अब देश की उम्मीदों का केंद्र बन गई है। कोच अंकुश शर्मा ने बताया, "यह परिणाम सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि महीनों के अनुशासन और समर्पण का प्रमाण है।"
उनकी सहयोगी कोच चंपा मौर्या ने भावुक होते हुए कहा, “ये बच्चे अब सिर्फ मप्र के नहीं, पूरे देश के चैंपियन हैं। अंतरराष्ट्रीय पदक अब सिर्फ सपना नहीं, लक्ष्य है।”
ओडिशा की नई लहर, केरल की परंपरा
ओडिशा के कोच एल. जॉनसन सिंह ने जगतपुर के प्रदर्शन को ‘सिर्फ शुरुआत’ बताया। उनकी टीम ने 3 स्वर्ण और 5 रजत पदक जीते। उनका मानना है कि निरंतर प्रशिक्षण और सही मार्गदर्शन से ओडिशा जल्द ही देश का अगला वाटर स्पोर्ट्स हब बन सकता है।
वहीं केरल, जिसने 3 स्वर्ण सहित 7 पदकों के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया, अपने पारंपरिक जल संस्कृति को आधुनिक तकनीक से जोड़कर आगे बढ़ रहा है। कोच पृथ्वीराज शिंदे ने कहा, “हमारी विरासत को अब नया आकार मिल रहा है। डल की यह जीत एक नए अध्याय की शुरुआत है।”
नज़र 2028 लॉस एंजिल्स पर
SAI के वरिष्ठ कोच और जगतपुर केंद्र के हाई परफॉर्मेंस मैनेजर दलीप बेनीवाल ने कहा, “रोइंग की तरह कयाकिंग और कैनोइंग को भी अगर वही संसाधन और अवसर मिले, तो हमारे एथलीट ओलंपिक पदक के असली दावेदार होंगे।”
विशेषज्ञों का अनुमान है कि केवल कयाकिंग और कैनोइंग में ओलंपिक और एशियन गेम्स में 30-30 स्वर्ण पदक दांव पर रहते हैं। खेलो इंडिया फेस्टिवल में भारत की प्रस्तुति को देखते हुए, यह संख्या अब भारतीय खेल योजनाकारों के लिए और भी आकर्षक हो गई है।
खेलो इंडिया की नई लहर
2017 में शुरू हुई खेलो इंडिया योजना अब केवल एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं, बल्कि प्रतिभा की खोज और वैश्विक तैयारी का प्रभावशाली मॉडल बनती जा रही है। जल क्रीड़ा के इस नए अध्याय में TOPS (Target Olympic Podium Scheme) और TAGG (Target Asian Games Group) जैसी सरकारी योजनाएं मजबूत सहारा बन रही हैं।
डल की शांत लहरों में गूंजती जीत की आवाज़ अब सिर्फ श्रीनगर में नहीं, बल्कि टोक्यो, ग्वांगझोउ और लॉस एंजिल्स जैसे शहरों तक पहुंचने को तैयार है।