कार्यक्रम में पंजाब के कृषि मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुड्डियां, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति सहित वैज्ञानिक और अधिकारी उपस्थित रहे।
श्री चौहान ने बताया कि यह अभियान किसानों को वैज्ञानिक शोध से जोड़ने और "लैब टू लैंड" की अवधारणा को जमीनी स्तर पर लागू करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, "हम प्रत्येक गांव के स्थानीय कृषि हालात का अध्ययन कर वहीं के अनुसार वैज्ञानिक समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि अब तक इस अभियान के माध्यम से लाखों किसानों से संवाद हो चुका है, और यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। मंत्री ने ट्रैक्टर चलाकर किसानों की जमीनी हकीकत को समझने की कोशिश भी की।
श्री चौहान ने कहा कि नई कृषि तकनीकों के माध्यम से धान की सीधे बीज बुवाई (Direct Seeding of Rice) अब व्यवहार में आ चुकी है, जिससे श्रम, समय और लागत—तीनों में बचत होती है। उन्होंने बताया कि कई किसानों ने उन्हें आश्वस्त किया कि पारंपरिक पद्धति की तुलना में उत्पादन में कोई कमी नहीं आती।
हरित क्रांति से बदली देश की तस्वीर
अपने संबोधन में श्री चौहान ने कहा कि एक समय था जब देश को अमेरिका से खराब गुणवत्ता वाला गेहूं आयात करना पड़ता था, लेकिन हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने पंजाब की धरती और यहां के किसानों के योगदान को नमन करते हुए कहा, "यह वही धरती है जिसने देश का अन्न भंडार भरा।"
उन्होंने देश में गेहूं, चावल, मक्का, मूंगफली और सोयाबीन के रिकॉर्ड उत्पादन की भी जानकारी दी और कहा कि भारत अब अन्न के मामले में आत्मनिर्भर हो चुका है।
बागवानी और निर्यात के लिए पंजाब में अपार संभावनाएं
श्री चौहान ने कहा कि पंजाब में बागवानी और निर्यात योग्य फल-सब्जियों के उत्पादन की भी अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कीटनाशकों के संतुलित उपयोग पर भी जोर दिया ताकि कृषि लागत में वृद्धि न हो और फसल की गुणवत्ता बनी रहे।
कृषि के छह उद्देश्य और आगे की नीतियां
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कृषि के छह उद्देश्य—उत्पादन वृद्धि, लागत में कमी, सही मूल्य सुनिश्चित करना, फसल क्षति की भरपाई, विविधिकरण और धरती को सुरक्षित रखना—सरकार की प्राथमिकताओं में हैं।
सिंधु जल संधि पर भी दिया बयान
श्री चौहान ने सिंधु जल संधि को अन्यायपूर्ण बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे समाप्त करने की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि अब भारत का पानी भारत के किसानों के लिए इस्तेमाल होगा।
"किसानों की सेवा ही मेरा धर्म है"
कार्यक्रम के अंत में श्री चौहान ने कहा, "किसानों की सेवा ही मेरा धर्म है। जब तक कृषि क्षेत्र समृद्ध नहीं होगा, तब तक मेरा मंत्री पद भी अधूरा रहेगा।"