क्या है नवरात्रि का महत्व?
नवरात्रि संस्कृत शब्द "नव" (नौ) और "रात्रि" (रात) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है "नौ रातें"। इन दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों – शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक – की पूजा की जाती है।
यह पर्व नारी शक्ति, सकारात्मक ऊर्जा, और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।
शारदीय नवरात्रि 2025: मुख्य तिथियाँ
_प्रारंभ – 22 सितंबर, सोमवार (प्रतिपदा)
_महाष्टमी – 29 सितंबर, रविवार
_महानवमी – 30 सितंबर, सोमवार
_विजयादशमी (दशहरा) – 1 अक्टूबर, मंगलवार
देशभर में उत्सव का माहौल
प्रमुख मंदिरों में आकर्षक झांकियाँ, भव्य आरतियाँ और मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग रही हैं।
गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और दिल्ली में रात्रि के समय गरबा और डांडिया के कार्यक्रमों में युवा खासा उत्साहित नजर आ रहे हैं।
बाजारों में भी दिखी रौनक
नवरात्रि को देखते हुए बाजारों में खास चहल-पहल है। महिलाएं रंग-बिरंगे पारंपरिक वस्त्रों की खरीदारी कर रही हैं। पूजा सामग्री, श्रृंगार का सामान और सजावटी वस्तुएं खूब बिक रही हैं। ई-कॉमर्स वेबसाइट्स ने भी विशेष नवरात्रि ऑफर्स लॉन्च किए हैं।
सुरक्षा और सुविधाओं के विशेष इंतज़ाम
राज्य सरकारों ने त्योहार के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पुलिस बल, CCTV निगरानी और महिला सुरक्षा के लिए विशेष टीमें तैनात की गई हैं।
उपवास और नियम
नवरात्रि में श्रद्धालु व्रत रखते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। कई लोग सिर्फ फलाहार पर रहते हैं, जबकि कुछ विशेष उपवास नियमों का पालन करते हुए नौ दिनों तक मां दुर्गा का ध्यान करते हैं।
नवरात्रि: आस्था और ऊर्जा का संगम
नवरात्रि सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करने का अवसर है। यह समय होता है नकारात्मकता को त्यागकर सकारात्मकता अपनाने का, नारी शक्ति के सम्मान का और आत्मबल को जागृत करने का।