भारत के चाय निर्यात में पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2023 में भारत ने 231.69 मिलियन किलोग्राम चाय का निर्यात किया था, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 255 मिलियन किलोग्राम तक पहुंच गया। इस वृद्धि के साथ ही भारत ने श्रीलंका को 24 मिलियन किलोग्राम के अंतर से पीछे छोड़ दिया। चाय निर्यात से होने वाली आय भी बढ़ी है, जो 2023 के 6,161 करोड़ रुपये से 15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2024 में 7,111 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
चाय उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि इस सफलता का मुख्य कारण पश्चिम एशियाई देशों, खासकर इराक को निर्यात में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी है। इराक अब भारत के चाय निर्यात का 20 प्रतिशत हिस्सा बन गया है। व्यापारियों को उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में भारत पश्चिम एशिया को 40-50 मिलियन किलोग्राम चाय भेजेगा। भारतीय निर्यातकों ने श्रीलंका की फसल में कमी का फायदा उठाते हुए पश्चिम एशियाई बाजारों में अपनी पैठ बनाई और इसे बनाए रखने में सफल रहे हैं।
भारत दुनिया के शीर्ष पांच चाय निर्यातक देशों में शामिल है और वैश्विक चाय निर्यात का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा इसके पास है। भारत 25 से अधिक देशों को चाय निर्यात करता है, जिनमें इराक, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ईरान, रूस, अमेरिका और ब्रिटेन प्रमुख हैं। भारत की असम, दार्जिलिंग और नीलगिरी चाय को दुनिया भर में बेहतरीन माना जाता है। खास तौर पर काली चाय (ब्लैक टी) भारत के निर्यात का 96 प्रतिशत हिस्सा बनाती है।
भारतीय चाय संघ के महासचिव प्रवीर कुमार भट्टाचार्य ने कहा, "केंद्र सरकार की अनुकूल निर्यात नीतियां और राज्य सरकारों का समर्थन इस उपलब्धि के पीछे बड़ा कारण है। हमारा लक्ष्य 2030 तक 300 मिलियन किलोग्राम चाय निर्यात करने का है।" भारत हर साल औसतन 1,400 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन करता है, जिसमें से अधिकांश असम, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के राज्यों तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक से आता है।
केंद्र सरकार ने चाय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। छोटे चाय उत्पादकों, जो कुल उत्पादन का 52 प्रतिशत हिस्सा देते हैं, को समर्थन देने के लिए 352 स्वयं सहायता समूह, 440 किसान उत्पादक संगठन और 17 किसान उत्पादक कंपनियां बनाई गई हैं। इसके अलावा, गुणवत्तापूर्ण तुड़ाई, क्षमता निर्माण और मशीनों की खरीद के लिए सहायता भी दी जा रही है।
भू-राजनीतिक तनावों और वैश्विक बाजार में अनिश्चितताओं के बावजूद भारत ने यह उपलब्धि हासिल की है। विशेषज्ञों का मानना है कि श्रीलंका की तुलना में भारत के चाय निर्यात की वृद्धि दर भले ही कम रही हो, लेकिन बाजार में उसकी मजबूत स्थिति और गुणवत्ता ने उसे आगे बढ़ाया है। यह सफलता भारतीय चाय उद्योग के लिए एक स्वर्णिम अवसर लेकर आई है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।