इस प्रतिष्ठित सम्मेलन का आयोजन सीआईआई-आईटीसी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा किया गया, जिसमें 10 से अधिक देशों के प्रतिनिधि, उद्योग जगत के दिग्गज और नीति निर्माता शामिल हुए।
प्रमुख घोषणाएँ और नीतिगत पहलें:
श्री यादव ने जलवायु कार्रवाई के तहत भारत की हालिया प्रमुख पहलों को विस्तार से प्रस्तुत किया:
1. पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम 2025:
* देशभर में पर्यावरण लेखा परीक्षा के लिए औपचारिक ढाँचा।
* दो-स्तरीय लेखा प्रणाली और पारदर्शी निगरानी एजेंसी का गठन।
2. संशोधित ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम:
* निजी क्षेत्र की प्रत्यक्ष भागीदारी को बढ़ावा।
* न्यूनतम पुनर्स्थापन प्रतिबद्धताएं तय।
* ग्रीन क्रेडिट का व्यावसायिक उपयोग सुनिश्चित।
3. वन (संरक्षण एवं संवर्धन) नियम 2023 में संशोधन:
* राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन, 2025 के तहत खनन अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाया गया।
* 24 खनिजों को रणनीतिक और 29 को आर्थिक-सुरक्षा दृष्टि से अहम बताया गया।
‘सतत विकास एक जीवनशैली विकल्प’
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने ज़ोर दिया कि भारत का विकास मॉडल आर्थिक प्रगति और पारिस्थितिक संतुलन को साथ लेकर चलता है। उन्होंने कहा:
"स्थायित्व को लक्ष्य के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवनशैली विकल्प के रूप में अपनाना होगा — एक ऐसी प्रतिबद्धता, जो लचीली, पुनर्योजी और उत्तरदायी हो।"
उन्होंने वैश्विक व्यापारिक तनावों, भू-राजनीतिक संघर्षों और नीतिगत अनिश्चितताओं की पृष्ठभूमि में विकासशील देशों को समावेशी और व्यवहारिक समाधान अपनाने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नीति-परिवर्तन
श्री यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मंत्रालय ने पर्यावरणीय नीति निर्माण में कई महत्वपूर्ण अधिसूचनाएँ जारी की हैं, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए टिकाऊ विकास सुनिश्चित करेंगी।
उन्होंने भारत की एनडीसी (राष्ट्रीय निर्धारित योगदान) लक्ष्यों की दिशा में हुई प्रगति, नवीकरणीय ऊर्जा में तेज़ी, ईपीआर (विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व) ढाँचे और अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को भारत की उपलब्धियों के रूप में रेखांकित किया।
‘मिशन लाइफ’ और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ की सराहना
मंत्री ने भारत के नवाचारपूर्ण अभियानों जैसे ‘मिशन लाइफ’ और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ का उल्लेख करते हुए कहा कि देश कार्बन सिंक, चक्रीय अर्थव्यवस्था और हरित व्यवहारों को बढ़ावा दे रहा है।
उन्होंने आगामी राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (NAP) की घोषणा करते हुए बताया कि यह योजना जलवायु जोखिमों को कम करने और लचीले विकास के लिए एक अहम ढाँचा तैयार करेगी।
वैश्विक दक्षिण के लिए उदाहरण बना भारत
सम्मेलन में वैश्विक प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए श्री यादव ने कहा:
"भारत का नीतिगत रोडमैप दर्शाता है कि कैसे विकासशील राष्ट्र स्थिरता और समावेशन के साथ आर्थिक विकास को संतुलित कर सकते हैं।"
उन्होंने विकसित देशों से आह्वान किया कि वे अपने विकास मॉडल में रूपांतरण लाएँ और सामाजिक समानता व पर्यावरणीय संतुलन को प्राथमिकता दें।
उद्योग जगत को साझेदारी का न्योता
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह समय है जब उद्योग जगत पारंपरिक लक्ष्यों से आगे बढ़कर टिकाऊ भविष्य की दिशा में राष्ट्रीय आकांक्षाओं के साथ तालमेल बनाए।
उन्होंने कहा,
"यह सम्मेलन ऐसे परिवर्तनकारी रास्तों की पहचान करेगा जो दुनिया को एक समावेशी और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाएँगे।"