बीड़ी, फिल्म एवं खनन क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों के जीवन को सशक्त बनाने के उद्देश्य से चल रही इन योजनाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास एवं सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी कई महत्वपूर्ण पहलें शामिल हैं। इन योजनाओं का संचालन देशभर में फैले 18 कल्याण आयुक्तों की निगरानी में हो रहा है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि लाभ वास्तविक ज़रूरतमंदों तक पहुंचे, विशेषकर दूरदराज व हाशिए पर रहने वाले श्रमिकों तक।
शिक्षा क्षेत्र में राहत: छात्रवृत्ति योजना बनी उम्मीद की किरण
DGLW के अंतर्गत संचालित शिक्षा सहायता योजना के माध्यम से बीड़ी, फिल्म व गैर-कोयला खनन क्षेत्रों के श्रमिकों के बच्चों को 1,000 रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक की वार्षिक छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। यह योजना राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (NSP) के ज़रिए पारदर्शी तरीके से DBT प्रणाली द्वारा संचालित हो रही है, जिसमें हर वर्ष एक लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हो रहे हैं।
स्वास्थ्य सुरक्षा की मजबूत कवच
स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत देशभर में फैले डिस्पेंसरी नेटवर्क से ओपीडी सेवाएं प्रदान की जा रही हैं, वहीं गंभीर बीमारियों जैसे हृदय रोग, किडनी प्रत्यारोपण, कैंसर, टीबी व छोटी सर्जरी के लिए 30,000 रुपये से लेकर 7.5 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जा रही है। यह पहल कम आय वाले श्रमिकों के लिए जीवनदायिनी सिद्ध हो रही है।
आवास योजना का विस्तार
हालांकि वर्ष 2016 में शुरू की गई संशोधित एकीकृत आवास योजना (RIHS) को अब प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में समाहित कर दिया गया है, फिर भी मंत्रालय ने मार्च 2024 तक लंबित आवास किस्तों का वितरण सुनिश्चित किया है, जिससे सरकार की “सबके लिए सम्मानजनक आवास” की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।
सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम
इन सभी पहलों के पीछे सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है — सबका साथ, सबका विकास। कल्याणकारी योजनाएं न केवल असंगठित श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित भी करती हैं।
श्रम मंत्रालय ने यह संकेत दिया है कि आने वाले वर्षों में इन योजनाओं को और अधिक तकनीकी-सक्षम, सरल व प्रभावी बनाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक श्रमिकों को इनका लाभ मिल सके।