हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तेजस्वी यादव ने 22 अगस्त को अपने आधिकारिक 'X' अकाउंट पर एक कार्टून पोस्ट किया। इस कार्टून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक दुकानदार के रूप में दिखाया गया था, जिसके साइनबोर्ड पर लिखा था, 'बयानबाजी की मशहूर दुकान'। इस व्यंग्यात्मक पोस्ट में तेजस्वी ने पीएम मोदी की गया रैली को 'झूठ और जुमलों' की रैली करार दिया।
उन्होंने लिखा, "प्रधानमंत्री जी, गया में बिना हड्डी की जुबान से आज झूठ और जुमलों का हिमालय खड़ा करेंगे, लेकिन बिहार की न्यायप्रिय जनता दशरथ मांझी की तरह इन झूठ के पहाड़ों को तोड़ देगी। 11 साल अपनी और 20 साल NDA सरकार का हिसाब दो।" तेजस्वी ने इस पोस्ट के जरिए केंद्र में भाजपा के 11 साल के शासन और बिहार में NDA की 20 साल की सरकार से जवाबदेही मांगी।
PTI के अनुसार, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में स्थानीय भाजपा विधायक मिलिंद नरोटे की शिकायत पर तेजस्वी यादव के खिलाफ FIR दर्ज की गई। नरोटे ने आरोप लगाया कि इस पोस्ट ने प्रधानमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाया और सामाजिक तनाव को बढ़ावा दिया। गढ़चिरौली पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 356 (मानहानि), धारा 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), और धारा 353 (सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज किया।
गढ़चिरौली पुलिस ने बताया कि शिकायत में कहा गया है कि तेजस्वी की पोस्ट न केवल प्रधानमंत्री का अपमान करती है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द को भी बिगाड़ सकती है। पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और सोशल मीडिया पोस्ट की सामग्री को सबूत के तौर पर शामिल किया है।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में भी तेजस्वी यादव के खिलाफ समान आरोपों के तहत FIR दर्ज की गई। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शाहजहांपुर की भाजपा महानगर अध्यक्ष शिल्पी गुप्ता ने थाना सदर बाजार में शिकायत दर्ज की। गुप्ता ने कहा कि तेजस्वी की पोस्ट से जनभावनाएं आहत हुईं और यह प्रधानमंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी थी।
शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक (SP) राजेश द्विवेदी ने PTI को बताया कि तेजस्वी के खिलाफ BNS की धारा 352(2) (जानबूझकर अपमान) और धारा 197(1)(a) (सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने इस मामले में भी जांच शुरू कर दी है और सोशल मीडिया पोस्ट की प्रति को रिकॉर्ड में लिया गया है।
22 अगस्त को बिहार के बोधगया में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की 2022 की एक विवादास्पद टिप्पणी का जिक्र किया। चन्नी ने पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कहा था, "यूपी, बिहार के भैया को पंजाब में न आने दें।"
मोदी ने इस टिप्पणी के आधार पर कांग्रेस और राजद पर बिहार के लोगों के प्रति तिरस्कार का भाव रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस और उसके सहयोगियों के लिए बिहार के लोग सिर्फ वोट बैंक हैं। उन्हें गरीबों के संघर्ष की कोई चिंता नहीं। हमारा प्रयास है कि बिहार के बेटे-बेटियों को यहीं रोजगार मिले और वे सम्मान की जिंदगी जी सकें।"
मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और यहां के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान दे रही है। उन्होंने बिहार में NDA सरकार की उपलब्धियों, जैसे बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों का जिक्र किया।
चरणजीत सिंह चन्नी की 2022 की टिप्पणी उस समय भी काफी विवादास्पद रही थी। PTI की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, इस बयान पर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। केजरीवाल ने इसे बिहार के लोगों का अपमान बताया था, जबकि रिजिजू ने इसे क्षेत्रीय भेदभाव को बढ़ावा देने वाला बयान करार दिया था।
तेजस्वी की ताजा पोस्ट को भाजपा नेताओं ने इसी तरह के संदर्भ में आपत्तिजनक माना और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।
तेजस्वी यादव ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, राजद के सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी अपनी पोस्ट को राजनीतिक व्यंग्य का हिस्सा मानते हैं और उनका इरादा किसी का अपमान करना नहीं था। राजद नेताओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला बताया और कहा कि विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने के लिए इस तरह की FIR का इस्तेमाल हो रहा है।
महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा है कि दोनों मामलों में जांच जारी है। गढ़चिरौली और शाहजहांपुर पुलिस तेजस्वी की पोस्ट और उससे जुड़े सबूतों की गहन जांच कर रही है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामलों में मानहानि और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के का पक्ष आरोपों की जांच में समय लग सकता है।