एसएन बोस संस्थान की खोज ने चौंकाया
कोलकाता स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत आने वाले एस.एन. बोस राष्ट्रीय मूलभूत विज्ञान केंद्र (SNBNCBS) के वैज्ञानिकों ने, डॉ. शुभाशीष हलधर के नेतृत्व में, एक गूढ़ प्रोटीन पी47 (P47) की भूमिका पर नई रोशनी डाली है। यह अब तक केवल एक सहायक माना जाता था, लेकिन अब यह कोशिकाओं के लिए एक "यांत्रिक रक्षक" के रूप में उभर रहा है।
क्या है ‘पी47’ और क्यों है यह खास?
पी47 को लंबे समय से प्रोटीन ट्रांसपोर्ट, डिग्रेडेशन और झिल्ली संलयन (membrane fusion) जैसे कार्यों में केवल सहायक माना गया। लेकिन हालिया प्रयोगों में सामने आया है कि यह प्रोटीन न केवल पी97 जैसे प्रमुख प्रोटीन की सहायता करता है, बल्कि खुद भी खिंचाव या तनाव के दौरान प्रोटीन की संरचना को स्थिर रखने में सक्षम है।
कैसे हुई खोज?
शोधकर्ताओं ने अत्याधुनिक सिंगल-मॉलिक्यूल मैग्नेटिक ट्विज़र्स तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें एक-एक प्रोटीन अणु पर नियंत्रित यांत्रिक बल डाला गया। यह उसी तनाव की नकल करता है, जो कोशिका के भीतर प्रोटीन को ट्रांसपोर्ट करते समय या अंदरूनी ढांचे (cytoskeleton) द्वारा पड़ता है।
परिणाम आश्चर्यजनक थे – पी47 न सिर्फ तनाव झेल रहे प्रोटीन से जुड़ गया, बल्कि उसने उन्हें फिर से मोड़ने (refold) में मदद की। यह भूमिका आमतौर पर चापेरोन (chaperone) नामक विशेष प्रोटीन निभाते हैं। लेकिन पहली बार एक सहायक प्रोटीन में यह क्षमता देखी गई।
रोगों के इलाज में बन सकता है सहायक
यह खोज हृदय की मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों और लेमिनोपैथी (Laminopathy) जैसे आनुवंशिक विकारों के इलाज में नई उम्मीद जगाती है, जहां बल के कारण प्रोटीन की स्थिरता बिगड़ जाती है।
क्या कहते है वैज्ञानिक?
भारतीय रासायनिक अनुसंधान सोसायटी की 25वीं वर्षगांठ पर प्रकाशित इस अध्ययन ने बायोकेमिस्ट्री के क्षेत्र में खलबली मचा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज प्रोटीन गुणवत्ता नियंत्रण (Protein Quality Control) और कोशिकीय यांत्रिकी (Cellular Mechanics) की हमारी समझ को पूरी तरह से बदल सकती है।