इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के तहत अरावली पर्वत श्रृंखला में व्यापक स्तर पर वनीकरण करने का संकल्प भी दोहराया। उन्होंने कहा कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली अरावली पर्वतमाला न केवल भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, बल्कि यह कई पर्यावरणीय चुनौतियों का भी सामना कर रही है।
"अरावली को पुनर्जीवित करने का संकल्प"
प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारा उद्देश्य इस क्षेत्र में हरियाली को फिर से बहाल करना है, ताकि जलवायु संकट, जल स्रोतों की कमी, धूलभरी आंधियों और थार रेगिस्तान के फैलाव जैसे मुद्दों से निपटा जा सके।" उन्होंने यह भी बताया कि सरकार स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इस दिशा में ठोस कार्य कर रही है।
उन्होंने पौधरोपण के लिए पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर बल दिया, विशेषकर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, जहां भूमि की उपलब्धता सीमित होती है। साथ ही, उन्होंने बताया कि सभी पौधरोपण गतिविधियों को जियो-टैग किया जाएगा और 'मेरी लाइफ पोर्टल' पर इनकी निगरानी सुनिश्चित की जाएगी।
युवाओं से की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के युवाओं से इस हरित आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की अपील की। उन्होंने कहा, “आज का युवा यदि एक पौधा भी लगाए और उसकी देखरेख करे, तो आने वाले वर्षों में हम एक हरित भारत की कल्पना को साकार कर सकते हैं।”
सोशल मीडिया पर साझा किया अनुभव
प्रधानमंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक श्रृंखला में अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा, “आज विश्व पर्यावरण दिवस पर मैंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के तहत दिल्ली के भगवान महावीर वनस्थली उद्यान में एक पौधा लगाया। यह अरावली ग्रीन वॉल परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अरावली पर्वत श्रृंखला का पुनर्वनीकरण है।”
उन्होंने यह भी लिखा कि सरकार अरावली क्षेत्र में पर्यावरणीय पुनरुत्थान के लिए जल संसाधनों के पुनर्भरण, रेगिस्तान विस्तार की रोकथाम और वायु प्रदूषण पर नियंत्रण जैसी पहल पर केंद्रित है।