यह नई उपलब्धि देश के अंतर्राष्ट्रीय उन्नत अनुसंधान केंद्र (ARCI) के शोधकर्ताओं ने हासिल की है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के स्वच्छ कोयला अनुसंधान पहल के तहत हुए इस शोध में इन्कोनेल 625 (IN625) जैसी उच्च तापमान और कठोर परिस्थितियों में टिकने वाली सुपर मिश्रधातु पर प्रयोग किया गया।
क्या है नई तकनीक?
शोधकर्ताओं ने एक संकर तकनीक 'लेज़र-असिस्टेड टर्निंग' (LAT) विकसित की है, जिसमें उच्च शक्ति लेज़र और विशेष लेपित औजारों (Coated Tools) का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। इसमें 2500 वाट तक की शक्ति वाला डायोड लेज़र, कटिंग टूल के ठीक आगे वर्कपीस को गर्म करता है, जिससे धातु में 'थर्मल सॉफ्टनिंग' यानी तापीय नरमी आती है और मशीनिंग आसान हो जाती है।
सुपरअलॉय की मशीनिंग अब और सटीक, औजारों की उम्र भी लंबी
IN625, जो कि अपनी जबरदस्त मजबूती, जंग प्रतिरोध और उच्च तापमान सहनशीलता के लिए जानी जाती है, अब पहले से कहीं बेहतर ढंग से मशीन की जा सकेगी। इस नई तकनीक से—
1. कटिंग फोर्स में 69% की कमी
2. औजार घिसाव में 46% की कमी
3. सतह की गुणवत्ता में 56% सुधार देखा गया है।
इस प्रक्रिया में टंगस्टन कार्बाइड और CrAlSiN नैनोकंपोजिट जैसी उन्नत कोटिंग वाले औजारों का इस्तेमाल किया गया, जो अत्यधिक तापमान पर भी अपनी तीक्ष्णता और स्थिरता बनाए रखते हैं।
एयरोस्पेस, परमाणु और रक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव की उम्मीद
ARCI की यह खोज उन उद्योगों के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आई है जहां मशीनिंग के लिए कठोर और टिकाऊ सामग्रियों की ज़रूरत होती है—जैसे एयरोस्पेस, समुद्री, रक्षा और ऊर्जा उत्पादन।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तकनीक से अब अगली पीढ़ी के टरबाइन ब्लेड, सर्जिकल उपकरण और हाई परफॉर्मेंस ऑटोमोटिव पार्ट्स बनाए जा सकेंगे—जो हल्के भी होंगे और टिकाऊ भी।
घरेलू विनिर्माण और आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बढ़ावा
यह उपलब्धि न सिर्फ तकनीकी दृष्टिकोण से भारत को अग्रणी बनाती है, बल्कि मेक इन इंडिया, ऊर्जा दक्षता और स्वच्छ तकनीक जैसे राष्ट्रीय अभियानों को भी मजबूती देती है। Process Mechanical Engineering और Materials Letters Journal में प्रकाशित यह शोध आने वाले समय में भारत को हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग का वैश्विक केंद्र बना सकता है।
वैज्ञानिकों की नज़र अब अगली चुनौती पर
शोधकर्ताओं ने बताया कि अब उनका अगला कदम अभी और भी कठिन सुपरअलॉयज़ की मशीनिंग को और बेहतर बनाना है। साथ ही, मशीनिंग के दौरान औजारों के विफलता के कारणों का भी विश्लेषण किया गया है, जिससे भविष्य में और भी अधिक टिकाऊ और उन्नत औजार तैयार किए जा सकें।