हमदर्द नेशनल फाउंडेशन (इंडिया) द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि रामदेव द्वारा हाल में जारी वीडियो, पहले से दिए गए आश्वासनों के विरुद्ध है।
कोर्ट की तीखी टिप्पणी: "रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं"
जस्टिस बंसल ने वीडियो को देखने के बाद कहा, “मुझे लगता है कि वह (रामदेव) आपके नियंत्रण से बाहर हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि रामदेव के वकील इस प्रकार के वीडियो को उचित नहीं ठहरा सकते और यह उनके द्वारा पहले दायर हलफनामे की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है, जिसमें उन्होंने खुद को कानून का पालन करने वाला नागरिक बताया था।
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि “रामदेव अपनी ही दुनिया में रहते हैं” और यदि उन्होंने पहले ही इस प्रकार के बयानों से दूर रहने का आश्वासन दिया था, तो ऐसे वीडियो की पुनरावृत्ति गंभीर है।
हमदर्द की दलील: "वीडियो वायरल हुआ, सांप्रदायिक भाषा में बयान"
हमदर्द की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कोर्ट को बताया कि बाबा रामदेव ने हाल में एक और वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें आपत्तिजनक और सांप्रदायिक बयान शामिल हैं।
उन्होंने कहा: “इस वीडियो को एक दिन में 8.9 लाख बार देखा गया, 8,500 लाइक्स और 2,200 कमेंट्स मिले। यह एक स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक वीडियो है जो वैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करता है।”
रामदेव की ओर से सफाई: वीडियो को ‘प्राइवेट’ किया, हटाने का आश्वासन
रामदेव और पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर और जयंत मेहता ने कोर्ट को बताया कि संबंधित वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से 24 घंटे के भीतर हटा दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूट्यूब पर वीडियो को ‘प्राइवेट’ कर दिया गया है, हालांकि हमदर्द के वकील ने इस पर आपत्ति जताई कि वीडियो अब भी उनके चैनल के सब्सक्राइबर द्वारा देखा जा सकता है।
रामदेव की ओर से यह भी कहा गया कि वे हलफनामा दाखिल करेंगे जिसमें इस प्रकार के किसी भी सांप्रदायिक बयान, सोशल मीडिया पोस्ट या विज्ञापन को आगे जारी न करने का वचन होगा।
पिछली सुनवाई में “शरबत जिहाद” टिप्पणी को लेकर भी फटकार
22 अप्रैल को इसी मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई थी, जब उन्होंने हमदर्द के लोकप्रिय पेय ‘रूह अफज़ा’ को ‘शरबत जिहाद’ कहकर निशाना बनाया था। अदालत ने उस समय रामदेव के वीडियो को “अस्वीकार्य” और “अदालत की अंतरात्मा को झकझोरने वाला” बताया था।
हमदर्द लेबोरेट्रीज़ ने याचिका में कहा था कि बाबा रामदेव के बयान उनके ट्रेडमार्क और ब्रांड की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुंचा रहे हैं और वे मानहानिकारक और सांप्रदायिक प्रकृति के हैं। आरोप यह भी है कि रामदेव ने यह दावा किया कि हमदर्द अपने उत्पाद की बिक्री से मिली राशि का उपयोग मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में करता है।
आगे की सुनवाई
कोर्ट ने आदेश दिया है कि रामदेव और पतंजलि की ओर से आज ही (2 मई) हलफनामा दाखिल किया जाए और मामले की अगली सुनवाई 9 मई 2025 को होगी।
निष्कर्ष:
दिल्ली हाईकोर्ट का यह रुख दर्शाता है कि कॉर्पोरेट प्रतिस्पर्धा की आड़ में सांप्रदायिक भाषा और आक्रामक प्रचार की अनुमति नहीं दी जा सकती, चाहे वह कितना भी बड़ा या प्रसिद्ध चेहरा क्यों न हो।