इस कार्यक्रम में केवीआईसी के अध्यक्ष श्री मनोज कुमार ने वर्चुअल माध्यम से लाभार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में पीएमईजीपी आज देश के युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता का मजबूत माध्यम बन चुका है। खादी अब केवल वस्त्र नहीं, बल्कि एक विचार है – आत्मनिर्भर भारत का विचार।"
इस अवसर पर केवीआईसी की सीईओ सुश्री रूप राशि सहित आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
जोनवार सब्सिडी वितरण:
इस महाअभियान में केवीआईसी के सभी छह जोन की सक्रिय भागीदारी रही—
दक्षिण जोन (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी) के लिए 2,445 परियोजनाओं को मंज़ूरी मिली और ₹80.26 करोड़ की सब्सिडी दी गई।
मध्य जोन (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड) के 2,366 प्रोजेक्ट्स को ₹91.13 करोड़ की सहायता मिली।
पूर्वी और पूर्वोत्तर जोन (बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा) को कुल 2,167 परियोजनाओं के लिए ₹62.68 करोड़ की सब्सिडी मिली।
उत्तरी जोन (हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, राजस्थान) की 1,320 परियोजनाओं को ₹41.80 करोड़ की सहायता प्रदान की गई।
इस योजना के अंतर्गत देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा देते हुए आत्मनिर्भरता की एक नई लहर पैदा की जा रही है।
पीएमईजीपी: रोजगार और उद्यमिता का बड़ा स्तंभ
आंकड़ों के मुताबिक, पीएमईजीपी योजना की शुरुआत से अब तक 10.18 लाख से अधिक सूक्ष्म इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं। इसके लिए सरकार द्वारा ₹73,348 करोड़ से अधिक का ऋण स्वीकृत किया गया है और ₹27,166 करोड़ से अधिक की सब्सिडी दी जा चुकी है। इस योजना ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 90 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान किया है।
इस वृहद कार्यक्रम के माध्यम से केवीआईसी ने न केवल युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा है, बल्कि उन्हें एक सफल उद्यमी बनने की राह भी दिखाई है।