विजय शाह कौन हैं?
पूरा नाम: कुंवर विजय शाह
राजनीतिक दल: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
वर्तमान पद: जनजातीय कार्य मंत्री, मध्य प्रदेश (मोहन यादव सरकार)
निर्वाचन क्षेत्र: हरसूद, खंडवा जिला, मध्य प्रदेश
विधायी रिकॉर्ड: आठ बार विधायक (1990, 1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2018, 2023)
विजय शाह गोंड जनजातीय समुदाय से हैं और मध्य प्रदेश के मकड़ाई रियासत के शाही गोंड परिवार से संबंध रखते हैं। उनकी राजनीतिक ताकत खंडवा जिले के जनजातीय बहुल हरसूद निर्वाचन क्षेत्र में है, जहां उन्होंने तीन दशकों से अधिक समय तक अपना दबदबा बनाए रखा है। शाह की राजनीतिक विरासत उनके भाई संजय शाह से भी जुड़ी है, जो टिमरनी से विधायक थे और कांग्रेस व बीजेपी दोनों के साथ सक्रिय रहे।
शाह का राजनीतिक सफर 1990 में शुरू हुआ, जब उन्होंने बीजेपी के टिकट पर पहला चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने विभिन्न बीजेपी सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं, जिसमें शिवराज सिंह चौहान के तीसरे मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री और चौथे मंत्रिमंडल में वन मंत्री के रूप में सेवा शामिल है। अपनी बेबाकी के लिए जाने जाने वाले शाह अक्सर अपनी विवादित टिप्पणियों के कारण चर्चा में रहे हैं, खासकर महिलाओं और हाशिए पर मौजूद समुदायों पर की गई टिप्पणियाँ।
सोफिया कुरैशी विवाद: क्या हुआ?
मई 2025 में, विजय शाह ने भारतीय सेना की सजायाफ्ता अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में एक विवादित टिप्पणी की, जिसे आपत्तिजनक और अपमानजनक माना गया। टिप्पणी का सटीक विवरण सार्वजनिक रूप से पूरी तरह सामने नहीं आया है, लेकिन यह इतना गंभीर था कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 14 मई 2025 को स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को शाह के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश दिया।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का रुख
हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर असंतोष जताया, यह कहते हुए कि FIR में शाह की टिप्पणी की गंभीरता को दर्शाने वाली उचित धाराएँ शामिल नहीं की गईं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह पुलिस जांच की निगरानी स्वयं करेगा, जिससे सार्वजनिक पदाधिकारियों के बयानों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने की उसकी प्रतिबद्धता झलकती है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
शाह ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और FIR पर रोक की मांग की। 15 मई 2025 को, यह मामला भारत के नव-नियुक्त मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आया। सुप्रीम कोर्ट ने शाह की टिप्पणी की कड़ी आलोचना की, जिसमें CJI गवई ने कहा:
“आप किस तरह का बयान दे रहे हैं? संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से एक निश्चित मर्यादा की अपेक्षा की जाती है। जब देश इतनी गंभीर स्थिति से गुजर रहा है, तब हर शब्द जिम्मेदारी के साथ बोला जाना चाहिए।”
शाह के वकील ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई की है और जब तक शाह को सुना नहीं जाता, तब तक कोई और कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। CJI ने पहले हाई कोर्ट में जाने का सुझाव दिया, लेकिन बाद में 16 मई 2025 (शुक्रवार) को सुनवाई के लिए सहमति दी।
विजय शाह की माफी
विवाद के बढ़ने पर विजय शाह ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी और अपनी टिप्पणी पर खेद जताया। उन्होंने कहा:
“हाल ही में मेरे बयान से हर समाज की भावनाएँ आहत हुई हैं, इसके लिए मैं न केवल शर्मिंदा हूँ, बल्कि दुखी हूँ और दिल से माफी माँगता हूँ। कर्नल सोफिया कुरैशी ने जाति और समाज से ऊपर उठकर राष्ट्र की सेवा की है। वह हमारी सगी बहन से भी अधिक सम्मानित हैं।”
शाह ने भारतीय सेना और कर्नल कुरैशी के प्रति सम्मान जताते हुए आगे कहा:
“आज मैं खुद शर्मिंदा हूँ। पूरे समाज और समुदाय से माफी माँगता हूँ। बहन सोफिया और देश की सम्माननीय सेना का हमेशा सम्मान करता हूँ और आज हाथ जोड़कर सबसे दिल से माफी चाहता हूँ।”
माफी के बावजूद, शाह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी है, और हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर नजर रखे हुए हैं।
विजय शाह का राजनीतिक सफर
विजय शाह का राजनीतिक करियर मध्य प्रदेश में उनकी गहरी जड़ों और गोंड जनजातीय समुदाय के बीच प्रभाव का प्रतीक है। उनके सफर का विस्तृत अवलोकन:
1990: बीजेपी के टिकट पर हरसूद से पहली बार विधायक चुने गए, जिसने उनके विधायी करियर की शुरुआत की।
1993–2023: हरसूद से लगातार आठ बार चुनाव जीते, जिससे खंडवा के जनजातीय क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ साबित हुई।
मंत्रालयी भूमिकाएँ:
शिवराज सिंह चौहान के तीसरे मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री रहे।
चौथे मंत्रिमंडल में वन मंत्री नियुक्त हुए।
वर्तमान में मोहन यादव सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री हैं।
पारिवारिक विरासत: शाह को अपने भाई संजय शाह से राजनीतिक विरासत मिली, जिन्होंने टिमरनी से विधायक के रूप में सेवा की।
भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार सचिन श्रीवास्तव बताते हैं कि शाह का प्रभाव उनकी शाही पृष्ठभूमि और बीजेपी में जनजातीय नेतृत्व की कमी से उपजा है। वे कहते हैं:
“विजय शाह मकड़ाई के गोंड शाही परिवार से हैं और स्वयं आदिवासी हैं। हरसूद में उनकी राजनीतिक पकड़ बेजोड़ है, क्योंकि बीजेपी वैकल्पिक जनजातीय नेताओं को विकसित करने में असफल रही है।”
विवादों का इतिहास
सोफिया कुरैशी विवाद कोई अलग-थलग घटना नहीं है। विजय शाह का महिलाओं और हाशिए पर मौजूद समुदायों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों का लंबा इतिहास रहा है। कुछ प्रमुख उदाहरण:
1. शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर टिप्पणी (2013)
2013 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान, शाह ने झाबुआ में एक सरकारी कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह पर द्विअर्थी टिप्पणी की। इस टिप्पणी से नाराज चौहान ने शाह को मंत्रिमंडल से हटा दिया। हालांकि, चार महीने बाद ही शाह को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया, जो उनकी राजनीतिक अपरिहार्यता को दर्शाता है।
2. आदिवासी छात्राओं पर टिप्पणी
एक आदिवासी छात्रावास के दौरे के दौरान, शाह ने कथित तौर पर कहा कि छात्राओं को “दो-दो टी-शर्ट दी जानी चाहिए,” जिसे अनुचित और असम्मानजनक माना गया। इस टिप्पणी की व्यापक निंदा हुई।
3. किन्नर समुदाय का अपमान (2018)
2018 में शिक्षक दिवस के एक कार्यक्रम में, शाह ने किन्नर समुदाय के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की:
“अगर तुम आज अपने गुरु के सम्मान में ताली नहीं बजाओगे, तो अगले जन्म में घर-घर जाकर ताली बजानी पड़ेगी।”
यह बयान किन्नर समुदाय के लिए अपमानजनक था, जिसके पारंपरिक कार्यों में ताली बजाना शामिल है, और इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए।
4. राहुल गांधी पर टिप्पणी (2022)
सितंबर 2022 में खंडवा में एक सभा को संबोधित करते हुए, शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वैवाहिक स्थिति पर विवादित टिप्पणी की:
“अगर कोई लड़का 50-55 साल का हो जाए और शादी न करे, तो लोग पूछते हैं कि कोई कमी तो नहीं है?”
इस टिप्पणी की व्यक्तिगत और अपमानजनक प्रकृति के लिए व्यापक आलोचना हुई।
भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर ने बीबीसी से कहा:
“विजय शाह की ऐसी कई टिप्पणियाँ हैं। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने महिलाओं या समुदायों पर आपत्तिजनक बयान दिए हैं।”
विजय शाह की राजनीतिक प्रासंगिकता क्यों बनी हुई है?
अपने विवादास्पद इतिहास के बावजूद, विजय शाह बीजेपी और मध्य प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण बने हुए हैं। इसके कई कारण हैं:
जनजातीय नेतृत्व की कमी: बीजेपी मध्य प्रदेश में मजबूत जनजातीय नेतृत्व विकसित करने में असफल रही है, जिससे शाह गोंड और अन्य जनजातीय समुदायों को संगठित करने में महत्वपूर्ण हैं।
जातीय राजनीति: पत्रकार गिरिजा शंकर के अनुसार, भारतीय राजनीति में जाति और समुदाय आधारित नेताओं को साथ रखना एक मजबूरी है। शाह की शाही गोंड पृष्ठभूमि और जनजातीय पहचान उन्हें बीजेपी के लिए अपरिहार्य बनाती है।
चुनावी सफलता: 1990 से हरसूद में शाह की लगातार जीत उनकी मजबूत जमीनी पकड़ को दर्शाती है, जिसे बीजेपी नजरअंदाज नहीं कर सकती।
राजनीतिक लचीलापन: 2013 में मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बावजूद, शाह की त्वरित वापसी बीजेपी की उनके विवादों को नजरअंदाज करने की इच्छा को दिखाती है।
सचिन श्रीवास्तव कहते हैं:
“बीजेपी में वैकल्पिक जनजातीय नेताओं की कमी ने विजय शाह को पार्टी के सबसे वरिष्ठ जनजातीय नेता के रूप में स्थापित किया है। उनके विवाद अक्सर उनकी चुनावी कीमत से ढक जाते हैं।”
मध्य प्रदेश सरकार की प्रतिक्रिया
हाई कोर्ट के FIR दर्ज करने के निर्देश के बाद, मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यालय ने 14 मई 2025 की देर रात एक बयान जारी कर पुष्टि की कि सीएम ने कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए कार्रवाई का निर्देश दिया है। हालांकि, सरकार ने शाह के मंत्री के रूप में बने रहने पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है, जो चल रही कानूनी प्रक्रिया के बीच सतर्क रुख को दर्शाता है।
विजय शाह का भविष्य क्या होगा?
16 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होगी कि क्या शाह को FIR से राहत मिलेगी या उन्हें और कानूनी परिणाम भुगतने होंगे। हाई कोर्ट का पुलिस जांच की निगरानी का फैसला संकेत देता है कि शाह की टिप्पणियों की गहन जांच होगी, जो संभवतः सार्वजनिक पदाधिकारियों की जवाबदेही के लिए एक मिसाल कायम करेगा।
शाह की माफी, हालांकि स्थिति को शांत करने की कोशिश है, लेकिन जनता और न्यायिक आक्रोश को पूरी तरह शांत नहीं कर सकती। उनकी बार-बार की विवादित टिप्पणियाँ उनकी राजनीतिक स्थिति को और जटिल कर सकती हैं, खासकर यदि बीजेपी को अपनी छवि बनाए रखने के लिए उनसे दूरी बनाने का दबाव पड़ता है।
विजय शाह, हरसूद से आठ बार के विधायक और बीजेपी के दिग्गज नेता, मध्य प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण लेकिन विवादास्पद शख्सियत हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी पर उनकी हालिया टिप्पणी ने उन्हें कानूनी मुश्किलों में डाल दिया है, जिसमें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अपनी माफी के बावजूद, शाह की महिलाओं, हाशिए पर मौजूद समुदायों और राजनीतिक विरोधियों पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों का इतिहास उनकी छवि को धूमिल करता है।
मध्य प्रदेश के गोंड समुदाय में गहरी जड़ों वाले जनजातीय नेता के रूप में, शाह की राजनीतिक प्रासंगिकता निर्विवाद है। हालांकि, उनके बार-बार के विवाद बीजेपी के ऐसे नेताओं को संभालने के दृष्टिकोण पर सवाल उठाते हैं। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और चल रही पुलिस जांच का परिणाम शाह के राजनीतिक भविष्य को आकार देगा और भारत में सार्वजनिक पदाधिकारियों की जवाबदेही पर व्यापक चर्चा को प्रभावित करेगा।