प्रस्ताव के मुख्य बिंदु
सीडब्ल्यूसी ने अपने प्रस्ताव में निम्नलिखित मांगें रखीं:
तत्काल समयसीमा और धनराशि: सरकार को जाति जनगणना के लिए तुरंत आवश्यक धनराशि आवंटित करनी चाहिए और प्रश्नावली तैयार करने से लेकर डेटा प्रकाशन तक प्रत्येक चरण के लिए स्पष्ट समयसीमा घोषित करनी चाहिए।
सभी दलों का विश्वास: सभी राजनीतिक दलों को प्रक्रिया में पूर्ण विश्वास में लिया जाए और संसद में इस मुद्दे पर तुरंत बहस हो।
पारदर्शिता और समावेशिता: जनगणना की प्रक्रिया हर कदम पर पारदर्शी और समावेशी हो। एकत्र डेटा का उपयोग आरक्षण, कल्याणकारी योजनाओं, शिक्षा और रोजगार नीतियों की समीक्षा के लिए किया जाए।
लाभकारी प्रभाव: एक उचित ढंग से लागू जाति जनगणना से समाज के सभी वर्गों को लाभ होगा।
आरक्षण पर 50% सीमा हटाने की मांग
कांग्रेस ने प्रस्ताव में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा हटाने की मांग की। साथ ही, संविधान के अनुच्छेद 15(5) को तत्काल लागू करने का आह्वान किया, जो निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान करता है। प्रस्ताव में कहा गया, "निजी संस्थानों की उच्च शिक्षा में बढ़ती भूमिका के बीच, हाशिए पर पड़े समुदायों को इनसे बाहर रखना असमानता को और गहराता है। अनुच्छेद 15(5) सामाजिक न्याय की अनिवार्यता है।"
केंद्र सरकार की घोषणा और पलटी
केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को घोषणा की थी कि दशकीय जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी। यह फैसला 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता党 (भाजपा) के रुख से उलट है, जब उसने जाति जनगणना को "समाज को बांटने वाला" कदम बताकर खारिज किया था। विपक्ष, खासकर कांग्रेस, ने इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था। हालांकि, सरकार ने अभी तक जनगणना की समयसीमा स्पष्ट नहीं की है।
खरगे का सवाल: अचानक हृदय परिवर्तन क्यों?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सीडब्ल्यूसी बैठक को संबोधित करते हुए सरकार के रुख पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "16 अप्रैल 2023 को जब मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जाति जनगणना की मांग की थी, तब सरकार इसके खिलाफ थी। फिर अचानक यह बदलाव कैसे?" उन्होंने आगे कहा, "सरकार और आरएसएस ने इसे 'विभाजनकारी' और 'अर्बन नक्सल' बताकर विरोध किया था। 'बटेंगे तो कटेंगे' जैसे नारे दिए गए।" खरगे ने कहा कि पार्टी खुश है कि प्रधानमंत्री ने देर से ही सही, मांग को समझा।
पहलगाम हमले पर भी चर्चा
सीडब्ल्यूसी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए, पर भी चर्चा की और इसे लेकर चिंता जताई।