Tranding
Tuesday, August 12, 2025

Charu Aghi / Dehradun /August 7, 2025

साध्वी शालिनीनंद महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा और अन्य धार्मिक कथाओं के वर्तमान स्वरूप पर गंभीर सवाल उठाते हुए ऐसी कथाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की माँग की है, जो आध्यात्मिक लाभ प्रदान करने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा, जो भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और भगवान नारायण के अवतारों का वर्णन करती है, शास्त्रों में अत्यंत पुण्यदायी मानी गई है। लेकिन आजकल ये कथाएँ आध्यात्मिक उन्नति के बजाय धन, यश और सम्मान अर्जित करने का माध्यम बन गई हैं।

धर्म / आध्यात्मिक लाभ विहीन कथाओं पर रोक होनी चाहिए - साध्वी शालिनीनंद महाराज

साध्वी शालिनीनंद ने उद्धव जी द्वारा गोपियों को कुसुम सरोवर पर सुनाई गई कथा और सुखदेव मुनि द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई कथा का उदाहरण देते हुए कहा कि ये कथाएँ शुद्ध भक्ति और भगवत् तत्व की प्राप्ति का माध्यम बनीं, क्योंकि कथावाचक आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और समर्पित थे। लेकिन आज के कथावाचक और श्रोता दोनों ही स्वार्थ, अहंकार और कामनाओं से ग्रस्त हैं, जिसके कारण कथाओं का वास्तविक उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा।

साध्वी ने वर्तमान कथाओं की व्यवस्था पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कथावाचक पांच सितारा सुविधाएँ, भव्य भोजन, और मोटी रकम की माँग करते हैं। यजमानों को लंबी सूची थमाकर कपड़े, सोना-चाँदी, बर्तन, और यहाँ तक कि कन्यादान तक की माँग की जाती है। उन्होंने विशेष रूप से रुक्मिणी को माँ मानने वाले यजमान को उनकी पुत्री बनाकर कन्यादान करवाने की प्रथा को पापकर्म बताया। साध्वी ने कहा, “ऐसे कथावाचक भगवान से शाश्वत संबंध को तोड़ने का पाप करवाते हैं।”

कथावाचकों द्वारा गुटखा खाने, मनमाने व्यंजन बनवाने, और माइक, साज-बाज, व आचार्य के लिए अलग-अलग राशि तय करने की प्रथा पर भी साध्वी ने कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि कुछ कथावाचक यजमानों को यह कहकर दबाव डालते हैं कि अन्य स्थानों पर लाखों-करोड़ों की व्यवस्था की गई थी, जिससे यजमान मजबूरी में ऐसी माँगें पूरी करते हैं।

साध्वी शालिनीनंद ने माँग की कि ऐसी कथाओं पर पूर्ण रोक लगाई जाए, जो दिखावा, पाखंड, और ड्रामे पर आधारित हों। उन्होंने सुझाव दिया कि कथाएँ केवल घर, परिवार, या उन मठ-मंदिरों में होनी चाहिए, जहाँ विरक्त, वैष्णव, और प्रज्ञावान महात्मा हों। ऐसी कथाएँ निःशुल्क होनी चाहिए, ताकि भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, और मुक्ति का वास्तविक उद्देश्य पूरा हो।

उन्होंने जोर देकर कहा कि कलयुग में नाम-स्मरण ही मोक्ष का आधार है, और यह सिद्धि केवल सिद्ध पुरुषों से प्राप्त हो सकती है। समाज में भागवत धर्म का प्रचार, शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, और भारतीय सभ्यता-संस्कृति को बढ़ावा देने से ही देश का कल्याण होगा। साध्वी ने कहा, “तभी भारत विश्व गुरु बनेगा और सच्चे अर्थों में विकास की ओर बढ़ेगा।”

Subscribe

Tranding

24 JobraaTimes

भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बनाये रखने व लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए सवंत्रता, समानता, बन्धुत्व व न्याय की निष्पक्ष पत्रकारिता l

Subscribe to Stay Connected

2025 © 24 JOBRAA - TIMES MEDIA & COMMUNICATION PVT. LTD. All Rights Reserved.