मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और जस्टिस ए. जी. मसीह की पीठ ने यह टिप्पणी की। अदालत तमिलनाडु सरकार और TASMAC द्वारा दाखिल उन विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें 23 अप्रैल को मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने ईडी की छापेमारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गवई ने ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू से तीखा सवाल पूछा –
“आप व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, पर एक निगम पर आपराधिक मामला कैसे दर्ज कर सकते हैं? आपका ईडी सभी सीमाएं लांघ रहा है।”
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी, जो TASMAC और उसके कर्मचारियों की ओर से पेश हुए, उन्होंने दलील दी कि ईडी ने बिना उचित प्रक्रिया के मोबाइल फोन क्लोन किए, व्यक्तिगत डिवाइस जब्त किए और कानून की सीमाओं का उल्लंघन किया।
कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया –
“राज्य सरकार ने 2014 से 2021 के बीच जिन लोगों को शराब आउटलेट दिए गए, उनमें से कुछ के खिलाफ 41 एफआईआर खुद दर्ज की थीं। लेकिन ईडी 2025 में सीधे TASMAC हेडक्वार्टर पर छापा मारता है, सभी मोबाइल फोन जब्त कर लेता है, डेटा क्लोन करता है – यह अधिकार क्षेत्र से बाहर की कार्रवाई है।”
इस पर सीजेआई ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा –
“किसी निगम पर आपराधिक मामला दर्ज करना संघीय ढांचे का उल्लंघन है। यह निजता और संस्थागत प्रक्रिया दोनों के खिलाफ है।”
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई तक जांच पर अंतरिम रोक लगाई। हालांकि, अदालत ने अभी फोन या डिवाइस से क्लोन किए गए डेटा के उपयोग पर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया।
ईडी ने मार्च 2025 में TASMAC मुख्यालय और इससे जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। आरोप था कि शराब के लाइसेंस में अनियमितताएं हुईं। इस छापेमारी के खिलाफ TASMAC ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे 23 अप्रैल को खारिज कर दिया गया था।
हाल ही में ईडी ने एक बार फिर से छापेमारी करते हुए TASMAC के प्रबंध निदेशक एस. विसकन और फिल्म निर्माता आकाश भास्करन के घरों की तलाशी ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विसकन से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की गई।