कर्नाटक में 1.25 लाख फर्जी वोट का दावा :
राहुल गांधी ने कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा का उदाहरण देते हुए बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 6.26 लाख वोटों में से 1.25 लाख वोट फर्जी थे। उन्होंने पांच तरीकों से धांधली के सबूत पेश किए:
1. डुप्लीकेट वोटर: 11,965 मतदाता एक से अधिक पोलिंग बूथों में दर्ज, जैसे गुरकीरत सिंह डांग का नाम चार बूथों में।
2. फर्जी/अमान्य पते: 40,000 मतदाताओं के पते गलत या गैर-मौजूद, जैसे "हाउस नंबर जीरो" या फर्जी नाम।
3. एकल पते पर थोक मतदाता: एक बेडरूम वाले घर में 80 मतदाता दर्ज, जिनका कोई अस्तित्व नहीं।
4. अमान्य फोटो: 4,132 मतदाताओं की फोटो या तो गायब थी या अस्पष्ट थी।
5. फॉर्म 6 का दुरुपयोग: 33,692 नए मतदाता जोड़े गए, जिनमें 70 साल की शकुन रानी जैसे बुजुर्ग शामिल, जो "नए मतदाता" के रूप में दर्ज थे।
महाराष्ट्र में भी गड़बड़ी का आरोप :
राहुल गाँधी ने महाराष्ट्र का जिक्र करते हुए कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच 5 महीनों में 1 करोड़ नए मतदाता जोड़े गए, जिसके बाद विपक्षी गठबंधन की हार हुई। उन्होंने दावा किया कि 5:30 बजे के बाद भारी मतदान का दावा गलत था, क्योंकि पोलिंग बूथों पर कोई भीड़ नहीं थी।
निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप :
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने निर्वाचन आयोग पर डिजिटल वोटर लिस्ट और सीसीटीवी फुटेज न देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आयोग ने गैर-मशीन पढ़ने योग्य कागजात दिए, जिसके विश्लेषण में छह महीने लगे। राहुल ने सवाल उठाया कि 21वीं सदी में, जब डेटा स्टोरेज आसान है, आयोग सीसीटीवी फुटेज को 45 दिनों में नष्ट क्यों करना चाहता है? उन्होंने इसे "लोकतंत्र के खिलाफ अपराध" करार दिया।
हरियाणा और राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव :
राहुल ने हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कांग्रेस और भाजपा के बीच 22,779 वोटों का अंतर था, जबकि एक विधानसभा में 1 लाख फर्जी वोट डाले गए। उन्होंने दावा किया कि यह मॉडल देशभर में दोहराया जा रहा है, जिसने नरेंद्र मोदी को 25 सीटों की मामूली बढ़त से प्रधानमंत्री बनाया।
विपक्ष की मांग और अगले कदम :
राहुल गाँधी ने मांग की कि निर्वाचन आयोग पिछले 10-15 वर्षों की इलेक्ट्रॉनिक वोटर लिस्ट और सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराए। राहुल गांधी ने कहा कि अगर आयोग ऐसा नहीं करता, तो यह स्पष्ट है कि वह भाजपा के साथ मिलीभगत कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आयोग पारदर्शिता नहीं दिखाता, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे, क्योंकि यह भारत की स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा स्थापित लोकतंत्र की नींव पर हमला है। विपक्ष ने बेंगलुरु में 8 अगस्त को एक मार्च की घोषणा की है, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सहित अन्य नेता शामिल होंगे। इसके अलावा, विपक्ष इस मुद्दे को जनता और न्यायपालिका तक ले जाने की योजना बना रहा है ताकि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बहाल किया जा सके।
जनता से अपील :
राहुल गांधी ने देश के युवाओं और गरीबों से अपील की कि वे अपने वोट की पवित्रता की रक्षा करें। उन्होंने कहा, "हमारा लोकतंत्र खत्म हो चुका है। यह हिंदुस्तान के संविधान और तिरंगे के खिलाफ अपराध है।"
बेंगलुरु में मार्च की घोषणा :
विपक्ष ने इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाने के लिए 8 अगस्त को बेंगलुरु में एक मार्च की घोषणा की है, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल होंगे।
यह खुलासा भारतीय लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाता है। यदि ये आरोप सत्य हैं, तो यह देश की चुनावी प्रक्रिया और निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर गहरे संदेह पैदा करता है। हालांकि, इन दावों की पुष्टि के लिए स्वतंत्र जांच और डिजिटल डेटा की उपलब्धता जरूरी है।