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Thursday, July 31, 2025

Charu Aghi / Dehradun /July 29, 2025

सांख्य योग के गहन दर्शन पर आधारित साध्वी शालिनीनंद महाराज की हालिया चर्चा ने श्रोताओं को आत्मिक चिंतन की ओर प्रेरित किया। सांख्य दर्शन के प्रमुख आचार्य महर्षि कपिल मुनि हैं, और भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण को भी सांख्य योग का प्रणेता बताया गया है। यह दर्शन प्रकृति और पुरुष (आत्मा) के बीच संबंध को समझाने का एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त करता है।

धर्म / सांख्य योग का गहन दर्शन: साध्वी शालिनीनंद महाराज की प्रेरक चर्चा

सांख्य दर्शन के 25 तत्व: जीवन का आधार


सांख्य दर्शन के अनुसार, मूल प्रकृति से 25 तत्वों की उत्पत्ति होती है, जो इस प्रकार हैं:
1. प्रकृति: सभी तत्वों का स्रोत।
2. महत्तत्व (बुद्धि): प्रकृति से उत्पन्न पहला तत्व, जो निर्णय और विवेक का आधार है।
3. अहंकार: आत्म-पहचान का तत्व।
4. पांच ज्ञानेंद्रियां: श्रोत्र (कान), त्वक (त्वचा), चक्षु (आंख), जिह्वा (जीभ), और घ्राण (नाक)।
5. पांच कर्मेंद्रियां: वाक (वाणी), हस्त (हाथ), पाद (पैर), पायु (गुदा), और उपस्थ (जननांग)।
6. पांच तन्मात्राएं: शब्द, स्पर्श, रूप, रस, और गंध।
7. पांच महाभूत: आकाश, वायु, अग्नि, जल, और पृथ्वी।
8. मन: विचारों और भावनाओं का नियंत्रक।
9. चित्त: मन, बुद्धि, और अहंकार का संयोजन, जिसमें स्मृतियां और अनुभव संग्रहित होते हैं।

ने बताया कि मन, बुद्धि, और अहंकार अंतःकरण के तीन पहलू हैं। जब ये अहंकार से मुक्त हो जाते हैं, तब व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार की अवस्था प्राप्त करता है, जो सांख्य योग का अंतिम लक्ष्य—मोक्ष—है।

माया के प्रपंच में उलझा मानव


साध्वी जी ने चिंता जताई कि आज का मानव माया और संसार के प्रपंचों में उलझकर अपने जीवन के मूल उद्देश्य से भटक रहा है। सांख्य योग हमें सिखाता है कि बाहरी आकर्षणों से ऊपर उठकर अपने भीतर की सत्यता को पहचानें। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ज्ञान को केवल धन, यश, और सम्मान प्राप्त करने का साधन बना रहे हैं, जिससे अध्यात्म का पतन हो रहा है। सच्चा ज्ञान वही है, जो जीव को मुक्ति के पथ पर ले जाए।

सद्गुरु की सही पहचान जरूरी


साध्वी जी ने जोर देकर कहा कि केवल जटा-जूट, भगवा वस्त्र, या उच्च पद से कोई सद्गुरु नहीं बनता। भगवान शिव ने गुरु गीता में सद्गुरु के लक्षणों को स्पष्ट किया है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि गुरु गीता का अध्ययन करें और सच्चे मार्गदर्शक की खोज करें, जो कल्याण का मार्ग दिखाए।

जीवन का उद्देश्य: आत्मिक उत्थान


साध्वी शालिनीनंद ने प्रेरित करते हुए कहा कि यह मानव तन हमें केवल भौतिक सुखों के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक उत्थान और मोक्ष के लिए मिला है। सांख्य योग के माध्यम से हमें अपने भीतर की सैर करनी चाहिए। उन्होंने अंत में श्रीमद् जगद्गुरु दत्तात्रेय भगवान से सभी जीवों के कल्याण की प्रार्थना की।

आमंत्रण आत्म-चिंतन का


साध्वी जी का यह संदेश आज के भौतिकवादी युग में एक जागृति का आह्वान है। सांख्य योग का यह गहन दर्शन हमें अपने जीवन के उद्देश्य को समझने और सत्य के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है।

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