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Friday, June 20, 2025

24JT News Desk / New Delhi /May 1, 2025

केंद्र सरकार द्वारा देशव्यापी जातिगत जनगणना कराने की घोषणा के बाद राष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे “लंबे संघर्ष की जीत” बताते हुए सरकार से जनगणना की समयसीमा तय करने की मांग की है, जबकि सरकार के सहयोगियों ने इसे ऐतिहासिक कदम करार दिया है।

राजनीति / जाति जनगणना पर विपक्ष की जीत का दावा, सरकार के फैसले को बताया राजनीतिक और सामाजिक दबाव का नतीजा

राहुल गांधी: “अब बताइए, जाति जनगणना कब तक होगी?”

कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रेस वार्ता के दौरान कहा —

“इससे फर्क नहीं पड़ता कि सरकार ने यह फैसला क्यों लिया। हम बहुत लंबे समय से इसके लिए लड़ रहे हैं, हम इसका स्वागत करते हैं। लेकिन सरकार को बताना चाहिए कि यह प्रक्रिया कब तक पूरी होगी।”

राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय किसी राज्य चुनाव से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह सामाजिक न्याय के संघर्ष का परिणाम है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि अनुच्छेद 15(5) के तहत निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण और 50% आरक्षण की सीमा समाप्त करने पर भी विचार किया जाए। उन्होंने तेलंगाना मॉडल को राष्ट्रीय जनगणना के खाके के रूप में अपनाने की बात कही।

CPI(M), RJD, SP और अन्य दलों का समर्थन:

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव एम. ए. बेबी ने केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह समयबद्ध होना चाहिए।

लालू प्रसाद यादव (राजद प्रमुख) ने कहा कि यह “जातिवाद” कहकर विरोध करने वालों के लिए करारा जवाब है।
तेजस्वी यादव ने इसे “वैचारिक जीत” बताते हुए आरक्षण की सीटों को विधानमंडलों में लागू करने की बात कही।
अखिलेश यादव ने इसे “भारत की जीत” और पीडीए (पिछड़ा, दलित, आदिवासी) वर्गों की एकता का परिणाम बताया।

CPI-ML नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि चार साल की देरी के बाद घोषणा करना और राज्य स्तरीय प्रयासों को राजनीति प्रेरित बताना हास्यास्पद है।

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि तेलंगाना में हुआ सर्वे इस दिशा में बड़ी पहल थी और अब देश को मुस्लिम समुदाय में सामाजिक वर्गों पर भी डेटा देना होगा।

स्टालिन और DMK की प्रतिक्रिया:

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने कहा कि यह “द्रविड़ आंदोलन और DMK की ऐतिहासिक जीत” है, लेकिन समय से पहले बिहार चुनावों को देखते हुए इसमें “राजनीतिक स्वार्थ” की बू आती है।

NDA सहयोगियों की सराहना:

TDP प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने इस फैसले को समावेशी शासन का प्रतीक बताया और कहा कि यह डेटा-संचालित नीति निर्माण को सशक्त करेगा।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “हम बहुत समय से जाति जनगणना की मांग कर रहे थे, अब यह हो रहा है — यह खुशी की बात है।”

लोजपा नेता चिराग पासवान और अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल ने भी इसे समावेशी विकास की दिशा में बड़ा कदम बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।

भाजपा की टिप्पणी और राहुल गांधी का पलटवार:

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्ष पर जाति जनगणना को “राजनीतिक हथियार” के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए जाति जनगणना का विरोध किया।

राहुल गांधी ने पलटवार करते हुए कहा, “जब हम देशभर में जाति जनगणना की वकालत कर रहे थे, तब मोदी सरकार ने इसका विरोध किया। अब इसे लागू करने का फैसला अचानक क्यों लिया गया?”

केंद्र सरकार के इस फैसले ने जहां विपक्ष को नैतिक बढ़त दी है, वहीं सत्तापक्ष ने इसे ‘सबका साथ, सबका विकास’ नीति का हिस्सा बताया है। जाति जनगणना अब सिर्फ सामाजिक न्याय का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह राष्ट्रीय नीति और चुनावी राजनीति के केंद्र में आ चुका है। सभी पक्ष इस पर सहमत दिख रहे हैं कि जाति आधारित डेटा के बिना सटीक नीति निर्माण और सामाजिक न्याय अधूरा है।

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