सरकार की स्वीकारोक्ति: सुरक्षा व्यवस्था में 'चूक'
बैठक के दौरान गृह मंत्रालय और खुफिया ब्यूरो (IB) के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह माना कि यह हमला सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी "चूक" का परिणाम था। अधिकारियों ने बताया कि:
बैसरन घाटी को आम तौर पर जून से पहले पर्यटकों के लिए नहीं खोला जाता।
स्थानीय प्रशासन को सूचित किए बिना 20 अप्रैल से छोटे-छोटे पर्यटक समूहों को वहां भेजा गया।
यह क्षेत्र मुख्य सड़क से लगभग 2-2.5 घंटे की पैदल दूरी पर स्थित है, और वहां CRPF की तैनाती नहीं थी।
हमले के दौरान मौजूद सुरक्षा बलों की संख्या बेहद सीमित थी और त्वरित कार्रवाई बल (QRT) को घटनास्थल तक पहुंचने में एक घंटा लग गया।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यह हमला उस समय हुआ जब पर्यटक बिना उचित सूचना और सुरक्षा इंतजामों के वहां पहुंचे थे।
विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया:
बैठक में मौजूद विपक्षी नेताओं ने सुरक्षा चूक, खुफिया विफलता और सरकार की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल उठाए। प्रमुख बिंदु:
प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति:
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, आप सांसद संजय सिंह, और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित कई नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए।
खरगे ने कहा, “ऐसी संवेदनशील बैठक में प्रधानमंत्री की मौजूदगी जरूरी थी। निर्णय वही लेते हैं, तो उन्हें खुद सुनना भी चाहिए।”
संजय सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री बिहार में भाषण दे रहे थे लेकिन इस गंभीर बैठक में नहीं आए। क्या चुनाव प्रचार ज़्यादा महत्वपूर्ण है?”
खुफिया और प्रशासनिक लापरवाही:
AAP सांसद संजय सिंह ने सवाल उठाया, “जब यह इलाका इतना संवेदनशील है, तो इसे बिना किसी आधिकारिक सूचना के कैसे खोला गया?”
ओवैसी ने कहा, “CRPF की टुकड़ी जनवरी में क्यों हटाई गई? हमले के वक्त कोई सुरक्षाबल क्यों नहीं था?”
सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले अभियानों पर चिंता:
बैठक में विपक्षी नेताओं ने हमले के बाद सोशल मीडिया और मीडिया चैनलों पर फैलाए जा रहे नफरत भरे अभियानों पर भी चिंता जताई:
भाजपा के छत्तीसगढ़ एक्स हैंडल द्वारा साझा की गई AI-जनरेटेड ‘धर्म पूछा’ पोस्ट को विपक्ष ने “संवेदनहीन और नफरत फैलाने वाला” बताया।
AIMIM के ओवैसी ने कहा, “अगर टीवी चैनल और सोशल मीडिया इस हमले को हिंदू-मुस्लिम मुद्दा बनाएंगे, तो यह लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान के लिए फायदेमंद होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “कश्मीरियों और कश्मीरी छात्रों के खिलाफ झूठा प्रचार बंद होना चाहिए।”
सरकार की प्रतिक्रिया:
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने प्रेस को बताया कि:
रक्षा मंत्री ने सर्वदलीय नेताओं को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की कार्रवाई की जानकारी दी।
सभी नेताओं को बताया गया कि “यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे लेकर सरकार कठोर कार्रवाई करेगी।”
उन्होंने कहा, “हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं, और इस हमले का जवाब उचित समय पर दिया जाएगा।”
सर्वदलीय एकजुटता – लेकिन गंभीर सवाल भी बाकी:
बैठक में सभी दलों ने एक स्वर में आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने की बात की, लेकिन यह स्पष्ट है कि विपक्ष को अभी भी सरकार की प्राथमिकताओं और कार्यप्रणाली पर भरोसा नहीं है।
AAP के संजय सिंह ने कहा, “हमने सोशल मीडिया पर उनके द्वारा खुद पोस्ट किए जा रहे कार्टूनों के साथ नफरत भरे अभियान को खत्म करने की मांग की।”
बैठक में शामिल प्रमुख नेता:
राहुल गांधी (कांग्रेस)
मल्लिकार्जुन खरगे (कांग्रेस)
संजय सिंह (AAP)
असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM)
सुप्रिया सुले (NCP)
प्रफुल्ल पटेल (NCP)
राम गोपाल यादव (SP)
थिरुचि शिवा (DMK)
सस्मित पात्रा (BJD)
प्रेमचंद गुप्ता (RJD)
सुदीप बंदोपाध्याय (TMC)
श्रीकांत शिंदे (Shiv Sena)
लवू श्रीकृष्ण देवरायलु (TDP)
विकास रंजन भट्टाचार्य (CPI-M)