इस साल के UPSC परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी विश्वविद्यालयों, विशेषकर दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने UPSC परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने जिस प्रकार से इस परीक्षा में सफलता पाई, उससे यह साबित होता है कि सरकारी विश्वविद्यालयों में मिलने वाली शिक्षा और प्रशासन छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए अत्यंत सहायक साबित हो सकते हैं। टॉप 10 में 4 अभ्यर्थी दिल्ली विश्वविद्यालय से हैं, जिनमें से कुछ ने मिरांडा हाउस, सेंट स्टीफेंस कॉलेज और हिंदू कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित कॉलेजों से शिक्षा प्राप्त की। DU के कुलपति के अनुसार, टॉप 25 में 6 छात्र DU से हैं, जिनमें से अधिकतर महिलाएं हैं।
इसके अतिरिक्त, IIT कानपुर से आदित्य श्रीवास्तव ने AIR 1 हासिल किया, जबकि NIT राउरकेला से अनिमेष प्रधान और केरल विश्वविद्यालय से सिद्धार्थ रामकुमार ने भी शानदार प्रदर्शन कर AIR 2 और AIR 4 प्राप्त किए।
दूसरी ओर, निजी कोचिंग संस्थानों की भूमिका भी इस सफलता में कम नहीं रही है। दिल्ली, हैदराबाद और भोपाल जैसे शहरों में स्थापित कोचिंग संस्थानों ने सिविल सेवा अभ्यर्थियों को बेहतर अध्ययन सामग्री, टेस्ट सीरीज़ और अनुभवी शिक्षकों के जरिए मार्गदर्शन प्रदान किया। हालांकि, इन संस्थानों की फीस ₹1.5 लाख से लेकर ₹2.5 लाख तक है, जो हर छात्र के लिए सुलभ नहीं है। दृष्टि IAS, श्रीराम IAS और हैदराबाद स्थित विक्रम कुमार कोचिंग जैसे संस्थानों की फीस आम छात्र के बजट से बाहर होती है।
ऐसे में उन छात्रों के लिए, जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं, सरकारी सहायता प्राप्त कोचिंग संस्थान आशा की किरण बनकर उभरे हैं। उदाहरण के लिए, जामिया मिल्लिया इस्लामिया की रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी (RCA) से इस वर्ष 31 छात्रों ने UPSC परीक्षा पास की, जिनमें से अधिकतर SC, ST, OBC और EWS श्रेणी से थे। इनमें से नौशीन ने AIR 9 हासिल कर संस्थान और अपने समुदाय का नाम रोशन किया।
इसी प्रकार, बिहार सरकार द्वारा संचालित 'मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/जनजाति सिविल सेवा प्रेरणा योजना' के तहत इस वर्ष 22 छात्रों ने UPSC परीक्षा में सफलता पाई। इस योजना के अंतर्गत छात्रों को न केवल निःशुल्क कोचिंग मिलती है, बल्कि रहने, खाने और स्कॉलरशिप की भी व्यवस्था की जाती है।
अलिगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कोचिंग और गाइडेंस सेल भी आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरी है। इस वर्ष AMU से 11 छात्रों ने UPSC परीक्षा पास की, जिन्हें नाममात्र शुल्क पर कोचिंग और तैयारी का अवसर मिला।
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी सहायता प्राप्त कोचिंग संस्थान, विशेषकर वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों के छात्रों के लिए UPSC जैसी कठिन प्रतियोगी परीक्षा में सामाजिक समावेशन और अवसर की समानता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
अंततः, UPSC 2024 के परिणाम यह दर्शाते हैं कि सरकारी विश्वविद्यालयों और संस्थानों के छात्रों ने न केवल उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि प्रतिभा और मेहनत संसाधनों की सीमाओं से परे जाकर सफलता दिला सकती है। वहीं, निजी कोचिंग संस्थानों ने इस यात्रा में सहायक की भूमिका निभाई, परंतु अंतिम सफलता अभ्यर्थी की लगन, तैयारी और आत्मविश्वास पर ही निर्भर करती है।