केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया फैसले पर सवाल उठाए हैं, जिसमें राज्यपालों को विधानसभाओं द्वारा पारित बिलों पर फैसला लेने के लिए समय सीमा तय की गई है। उन्होंने कहा कि संविधान में राज्यपालों के लिए बिलों पर निर्णय लेने की कोई निश्चित समय सीमा नहीं है और सुप्रीम कोर्ट का यह कदम संविधान संशोधन के समान है। राज्यपाल ने यह भी पूछा कि यदि कोर्ट ही संविधान में बदलाव करेगा, तो फिर विधायिका और संसद की क्या जरूरत है?