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Friday, June 20, 2025

24JT News Desk / New Delhi /March 28, 2025

नई दिल्ली, 28 मार्च 2025: सुप्रीम कोर्ट ने परिवारिक रिश्तों में बढ़ती दूरी को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि भारत में लोग "वसुधैव कुटुम्बकम" यानी पूरी दुनिया को एक परिवार मानने के सिद्धांत में विश्वास करते हैं, लेकिन अपने करीबी रिश्तेदारों के साथ भी एकजुट रहने में असफल हो रहे हैं। यह टिप्पणी जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की।

राष्ट्रीय / हम वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करते हैं, लेकिन निकट संबंधियों के साथ एकजुट नहीं रह पाते: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में परिवार की अवधारणा पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में रिश्तों को बहुत महत्व दिया जाता है, लेकिन आधुनिक समय में लोग अपने नजदीकी रिश्तेदारों से भी भावनात्मक और सामाजिक रूप से दूर होते जा रहे हैं। कोर्ट का यह बयान उस संदर्भ में आया, जब वह एक पारिवारिक विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा था।

न्यायमूर्ति पंकज मिथल ने कहा, "हमारी संस्कृति में 'वसुधैव कुटुम्बकम' का सिद्धांत गहराई से समाया हुआ है। यह हमें पूरी दुनिया को एक परिवार की तरह देखने की सीख देता है। लेकिन यह विडंबना है कि हम अपने सबसे करीबी रिश्तों को भी संभाल नहीं पा रहे।" उन्होंने आगे कहा कि परिवारिक एकता और आपसी सहयोग आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।

यह टिप्पणी सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में चर्चा का विषय बन गई है। कई लोगों ने इसे भारतीय समाज में बदलते मूल्यों और रिश्तों की स्थिति पर एक गंभीर चिंतन के रूप में देखा। सुप्रीम कोर्ट का यह बयान न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी लोगों को अपने रिश्तों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

हाल के दिनों में परिवारिक विवादों से जुड़े मामले कोर्ट में बढ़ते जा रहे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या आधुनिक जीवनशैली और व्यक्तिगत प्राथमिकताएं पारंपरिक मूल्यों को प्रभावित कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी उन सभी लोगों के लिए एक संदेश है जो अपने परिवार और समाज के साथ सामंजस्य बनाए रखना चाहते हैं।

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