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Friday, June 20, 2025

24JT News Desk / Udaipur /June 6, 2025

भारत ने जिनेवा में आयोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) वित्तपोषण पर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण वैश्विक पहल की वकालत की है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण केवल एक तकनीकी विषय नहीं, बल्कि वैश्विक विकास और स्थायित्व का अनिवार्य आधार है।

"जिनेवा में भारत की बड़ी पहल: आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए वैश्विक वित्तीय ढांचे की वकालत" | Photo Source : PIB
राष्ट्रीय / जिनेवा में भारत की बड़ी पहल: आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए वैश्विक वित्तीय ढांचे की वकालत

डॉ. मिश्रा ने एक वैश्विक प्रतिष्ठान के निर्माण का आह्वान किया, जो उत्प्रेरक वित्त पोषण, तकनीकी सहायता और ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा दे सके। उन्होंने कहा कि आपदा वित्तपोषण अब प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि संरचित और पूर्व-निर्धारित होना चाहिए, जो राष्ट्रीय स्तर पर संचालित और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से समर्थित हो।

भारत की वित्तीय यात्रा एक मॉडल


डॉ. मिश्रा ने बताया कि जहां शुरुआत में केवल ₹60 करोड़ (लगभग 0.7 मिलियन USD) का आवंटन था, वहीं आज 15वें वित्त आयोग के तहत यह परिव्यय बढ़कर ₹2.32 ट्रिलियन (लगभग 28 बिलियन USD) हो चुका है। यह भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि DRR वित्तपोषण को उसने नीति के केंद्र में रखा है।

उन्होंने कहा कि भारत की DRR व्यवस्था चार प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है:

तैयारी, शमन, राहत और पुनर्निर्माण के लिए अलग-अलग वित्तीय खिड़कियां।

प्रभावित और कमजोर समुदायों की प्राथमिकता।

केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों तक वित्तीय संसाधनों की पहुंच।

जवाबदेही, पारदर्शिता और मापनीय परिणामों का अनिवार्य मार्गदर्शन।

राष्ट्रीय स्वामित्व, वैश्विक सहयोग की वकालत


डॉ. मिश्रा ने ज़ोर दिया कि आपदा जोखिम वित्तपोषण को राष्ट्रीय शासन और जोखिम प्रोफाइल के अनुरूप डिज़ाइन किया जाना चाहिए, लेकिन वैश्विक मार्गदर्शन और मानक भी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि जोखिम पूलिंग, बीमा और नवाचार आधारित वित्तीय उपायों को स्थानीय परिस्थितियों और वित्तीय स्थिरता के साथ संतुलित करना होगा।

गंभीर वैश्विक कमी की ओर इशारा


डॉ. मिश्रा ने कहा कि इस क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक अंतर है – DRR वित्तपोषण ढांचे को समर्थन देने के लिए एक समर्पित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली का अभाव। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय संस्थानों से एक वैश्विक मंच तैयार करने की अपील की, जो वित्तीय, तकनीकी और ज्ञान आधारित सहायता दे सके।

‘घोषणाओं से आगे, परिणामों की ओर’ भारत का संदेश


भारत ने सम्मेलन में मौजूद देशों से अपील की कि वे केवल आशय व्यक्त करने वाले बयानों तक सीमित न रहें, बल्कि ठोस और समयबद्ध परिणाम सुनिश्चित करें। डॉ. मिश्रा ने स्पष्ट किया कि भारत राष्ट्रीय रूप से संचालित और वैश्विक स्तर पर समर्थित DRR वित्तपोषण ढांचे के लिए नेतृत्व और सहयोग करने को तैयार है।

यूएनडीआरआर द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में भारत ने ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की उस भूमिका को भी रेखांकित किया, जो उन्होंने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान DRR के वैश्विक विमर्श को आगे बढ़ाने में निभाई।

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