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Saturday, April 26, 2025

कला-साहित्य

जंगल में लोकतंत्र पर संकट: "डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर" की कहानी ‘जंगल में महासभा’ से समाज पर करारा व्यंग्य**

समकालीन हिंदी साहित्य में व्यंग्य और सामाजिक आलोचना को लेकर एक नई हलचल मचाने वाली कहानी *‘जंगल में महासभा’* ने पाठकों को न केवल सोचने पर मजबूर कर दिया है, बल्कि जंगल के बहाने हमारे लोकतंत्र के सबसे नाज़ुक सवालों को बड़े प्रभावी अंदाज़ में उठाया है। इस कहानी के रचयिता डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर हैं, जिनकी लेखनी सामाजिक यथार्थ को प्रतीकों और जीव-जंतुओं के माध्यम से प्रस्तुत करने में विशेष दक्ष मानी जाती है।

डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कहानी 'मांग': एक दर्दनाक प्रेम कथा

हिंदी साहित्य के यथार्थवादी लेखक डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कहानी 'मांग' ने मानवता और प्रेम की गहरी भावनाओं को प्रस्तुत किया है। यह कहानी न केवल एक युवा प्रेमी जोड़े की कड़ी परीक्षा की कहानी है, बल्कि यह सामाजिक दबावों और पारिवारिक मान्यताओं के बीच मनुष्य की भावनाओं की जटिलता को उजागर करती है।

"बचपना": डॉ० नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कविता में जीवित होता मासूम बचपन

डॉ० नवलपाल प्रभाकर दिनकर की नवीन कविता "बचपना" इन दिनों साहित्यिक जगत में विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह रचना न केवल भावनात्मक स्मृतियों से जुड़ती है, बल्कि ग्रामीण भारत के पारंपरिक जीवन, ऋतुओं की मिठास और बालमन की मासूम शरारतों को भी बड़ी ही संवेदनशीलता से प्रस्तुत करती है।

24 JobraaTimes

भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बनाये रखने व लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए सवंत्रता, समानता, बन्धुत्व व न्याय की निष्पक्ष पत्रकारिता l

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