18 जुलाई 2025 को कमीशन किए गए आईएनएस निस्तार का निर्माण देश में नौसेना क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस जहाज में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। साइड स्कैन सोनार, आरओवी और गहरे समुद्र में गोताखोरी के लिए आधुनिक उपकरणों से लैस यह जहाज डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) का मदरशिप (मदरशिप) की भूमिका निभाएगा।
भारत के पास अब दो डीएसआरवी हैं, जो 650 मीटर की गहराई तक पनडुब्बी बचाव कार्य करने में सक्षम हैं। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की कतार में शामिल हो गया है, जिनके पास समर्पित पनडुब्बी बचाव प्रणालियाँ हैं। ये प्रणालियाँ समुद्र के किनारे या दूरस्थ क्षेत्रों में तेजी से तैनात की जा सकती हैं।
इस वर्ष के ‘पैसिफिक रीच 2025’ अभ्यास में 40 से अधिक देश भागीदार या पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होंगे। यह अभ्यास दो चरणों—बंदरगाह और समुद्री—में आयोजित किया जाएगा। बंदरगाह चरण में विशेषज्ञ वार्ता, चिकित्सा संगोष्ठी और क्रॉस डेक दौरे शामिल होंगे। वहीं, समुद्री चरण में आईएनएस निस्तार दक्षिण चीन सागर में विभिन्न बचाव और हस्तक्षेप अभ्यासों में हिस्सा लेगा।
सिंगापुर में आयोजित यह बहुराष्ट्रीय अभ्यास समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का भी महत्वपूर्ण मंच है।