माँ बगलामुखी : स्वरूप और प्रतीक
नाम : बगलामुखी का अर्थ — "जो शत्रु की गति को रोक दे"
रूप : पीले वस्त्रधारी, एक हाथ में गदा, दूसरे में शत्रु की जिव्हा पकड़े मुद्रा
विशेषता : वाक् सिद्धि, मानसिक नियंत्रण, और आंतरिक शत्रुओं (भ्रम, भय, क्रोध) का स्तम्भन
प्राकट्य कथा (प्रामाणिक तांत्रिक ग्रंथों से)
स्रोत : रुद्रयामल तंत्र, तंत्रसार, शक्तिपीठ महात्म्य
कथा :
प्रलयकाल में भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर (वर्तमान गुजरात) के तट पर कठोर तप किया।
तप से प्रसन्न होकर माँ बगलामुखी प्रकट हुईं और स्तम्भन शक्ति से प्रलय को रोक दिया।
साधारण पूजन विधि (घर पर)
• पीले वस्त्र पहनें, पीले आसन पर पूर्वमुखी बैठें
• हल्दी से तिलक करें, पीले फूल, दीप, और नैवेद्य चढ़ाएं
• मुख्य भोग : बेसन लड्डू, केसर वाली खीर, भुने चने
• मंत्र जप :
“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय
जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।”
• जप संख्या : 108 या 1008 बार
• माला : हल्दी या रुद्राक्ष
साधना के लाभ
शत्रु बाधा,शत्रु की योजना निष्फल हो जाती है
वाणी में गूढ़ता, प्रभाव और सम्मोहक शक्ति आती है
कोर्ट केस/कानूनी विवाद : निर्णय साधक के पक्ष में झुकते हैं
मानसिक तनाव भ्रम, भय, क्रोध और आत्म-अविश्वास दूर होता है
राजनैतिक-प्रशासनिक सफलता उच्च स्तर पर निर्णय शक्ति का विकास होता है
विशेष साधक निर्देश (आचार्य अनुज के अनुसार)
रात्रिकालीन साधना अधिक फलदायी
ब्रह्मचर्य और सात्विक आहार अनिवार्य
हरिद्रा मूल और पीले वस्त्र का प्रयोग अनिवार्य
मंत्र जप के दौरान मौनव्रत और मानसिक एकाग्रता बनाए रखें
प्रमुख शक्तिपीठ जहां विशेष आयोजन होंगे
1. दत्तिया पीठ, मध्यप्रदेश — राजनेताओं और न्यायिक साधकों का प्रमुख केंद्र
2. श्री बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा (हिमाचल) — तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए विख्यात
3. नालगढ़, हरियाणा — गूढ़ तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध
4. हरिद्वार, उत्तराखंड — माँ गंगा के किनारे विशेष अनुष्ठान
5. बंगाल के तांत्रिक आश्रम — शुद्ध तंत्र परंपरा का गहन अभ्यास
आध्यात्मिक संदेश
“बगलामुखी जयंती केवल शत्रु-नाश की साधना नहीं,
यह भीतर के भय, भ्रम और मोह का स्तम्भन भी है।”
“यह दिन सिखाता है कि मौन और संयम से ही
सच्ची विजय प्राप्त की जा सकती है।”
5 मई 2025 को पड़ने वाली माँ बगलामुखी जयंती साधकों, भक्तों और जागरूक आत्माओं के लिए आत्मिक नियंत्रण, मानसिक स्थिरता और शत्रु बाधा निवारण का विशेष पर्व है। आचार्य अनुज द्वारा सुझाए गए मार्गदर्शन के अनुसार श्रद्धा, नियम और संयम से की गई साधना जीवन को शक्ति, विवेक और विजय से भर सकती है।