मुठभेड़ की शुरुआत और घटनाक्रम:
यह मुठभेड़ गुरुवार, 27 मार्च 2025 को सुबह करीब 8 बजे कठुआ जिले के राजबाग इलाके के घाटी जुथाना क्षेत्र में जखोले गांव के पास शुरू हुई। खुफिया सूचना के आधार पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (SOG), भारतीय सेना, सीमा सुरक्षा बल (BSF), और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की संयुक्त टीम ने इलाके में तलाशी अभियान चलाया था। इसी दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में मुठभेड़ शुरू हो गई।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह वही आतंकी समूह है, जो रविवार, 23 मार्च को हीरानगर सेक्टर के सान्याल गांव में सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद जंगल में भाग निकला था। उस मुठभेड़ के बाद से ही कठुआ के जंगली इलाकों में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था। गुरुवार को आतंकियों की सटीक लोकेशन का पता लगने के बाद सुरक्षाबलों ने उन्हें घेर लिया, जिसके परिणामस्वरूप यह भीषण गोलीबारी हुई।
शहीद जवानों और घायलों की स्थिति:
मुठभेड़ में जम्मू-कश्मीर पुलिस के SOG के तीन जवान शहीद हो गए। इनमें एक हेड कांस्टेबल और दो कांस्टेबल शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार, तीनों जवानों को पेट में गोली लगी थी, और उन्हें जम्मू मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। इसके अलावा, DSP धीरज कटोच, दो अन्य पुलिसकर्मी, और सेना के 1 PARA (स्पेशल फोर्सेस) का एक जवान भी घायल हुआ। घायलों को तुरंत कठुआ और जम्मू के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। DSP कटोच की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें एयरलिफ्ट कर सैन्य अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
आतंकियों का खात्मा और हथियार बरामद:
सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकियों को मार गिराया। ड्रोन फुटेज के जरिए उनके शव जंगल की ऊंचाइयों पर देखे गए हैं, जिनमें से एक आतंकी का शव रॉकेट लॉन्चर में जला हुआ पाया गया। माना जा रहा है कि ये आतंकी पाकिस्तान से आए थे और जैश-ए-मोहम्मद के प्रॉक्सी संगठन पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट से जुड़े थे। मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने भारी गोलीबारी के साथ-साथ ग्रेनेड और रॉकेट लॉन्चर का भी इस्तेमाल किया।
इससे पहले, सोमवार को हीरानगर इलाके में सर्च ऑपरेशन के दौरान M4 कार्बाइन की चार लोडेड मैगजीन, दो ग्रेनेड, एक बुलेटप्रूफ जैकेट, स्लीपिंग बैग, ट्रैकसूट, खाद्य सामग्री, और IED बनाने की सामग्री बरामद की गई थी। पुलिस का मानना है कि आतंकियों ने शनिवार, 22 मार्च को सीमा पार से घुसपैठ की थी, संभवतः नाले के रास्ते या सुरंग के जरिए।
ऑपरेशन में तकनीक का इस्तेमाल:
इस बड़े आतंकवाद विरोधी अभियान में सुरक्षाबलों ने थर्मल इमेजिंग, ड्रोन, हेलिकॉप्टर, बुलेटप्रूफ वाहन, और खोजी कुत्तों की मदद ली। जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (DGP) नलिन प्रभात खुद मौके पर पहुंचे और ऑपरेशन की निगरानी की। सेना की विशेष टुकड़ी (स्पेशल फोर्सेस) को भी हेलिकॉप्टर से मुठभेड़ स्थल पर उतारा गया ताकि इलाके की घेराबंदी को मजबूत किया जा सके। शुक्रवार सुबह फिर से सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया, क्योंकि सूत्रों के मुताबिक इलाके में चार से पांच और आतंकी छिपे हो सकते हैं।
आतंकी संगठन की जिम्मेदारी:
पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि यह उनके प्रशिक्षित आतंकियों द्वारा किया गया हमला था। यह संगठन जैश-ए-मोहम्मद का एक हिस्सा माना जाता है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रॉक्सी के तौर पर काम करता है। संगठन ने कहा कि यह हमला सुरक्षाबलों के खिलाफ उनकी रणनीति का हिस्सा है।
अब तक का घटनाक्रम:
22 मार्च: आतंकियों ने सीमा पार से घुसपैठ की।
23 मार्च: हीरानगर सेक्टर के सान्याल गांव में पहली मुठभेड़, आतंकी भागने में सफल।
24-26 मार्च: कठुआ के जंगलों में सर्च ऑपरेशन जारी, हथियार बरामद।
27 मार्च: जखोले गांव के पास मुठभेड़, तीन आतंकी ढेर, तीन जवान शहीद।
28 मार्च: सर्च ऑपरेशन जारी, और आतंकियों की तलाश तेज।
जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना का मानना है कि इलाके में अभी भी कुछ आतंकी छिपे हो सकते हैं। DGP नलिन प्रभात ने कहा, "हम जल्द ही बाकी आतंकियों को भी मार गिराएंगे। ऑपरेशन तब तक जारी रहेगा जब तक क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जाता।" इस घटना ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ चल रहे अभियानों की चुनौतियों को उजागर किया है।