रूस की कैंसर वैक्सीन: क्या है यह?
रूस दो प्रकार की कैंसर वैक्सीन पर काम कर रहा है:
1. पर्सनलाइज्ड mRNA वैक्सीन
- यह वैक्सीन हर मरीज के ट्यूमर की जेनेटिक संरचना के आधार पर बनाई जाती है।
- ट्यूमर से डेटा लिया जाता है, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से वैक्सीन तैयार की जाती है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रेरित करती है।
- यह तकनीक कोविड-19 वैक्सीन (जैसे फाइजर और मॉडर्ना) में इस्तेमाल हुई mRNA तकनीक से मिलती-जुलती है।
- इसे रूस के गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट और फेडरल मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी (FMBA) ने विकसित किया है।
- रूसी मीडिया (जैसे RT) के अनुसार, इस वैक्सीन की कीमत लगभग 3 लाख रूबल (करीब 2.75 लाख रुपये) प्रति डोज हो सकती है, लेकिन रूस सरकार ने इसे नागरिकों के लिए मुफ्त देने का वादा किया है।
2. एंटरोमिक्स: ऑनकोलिटिक वायरस वैक्सीन
- यह वैक्सीन विशेष वायरस का उपयोग करती है, जो केवल कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते हैं, सामान्य कोशिकाओं को नहीं।
- ये वायरस कैंसर कोशिकाओं में घुसकर उन्हें तोड़ते हैं और इम्यून सिस्टम को सक्रिय करते हैं, जिससे शरीर खुद कैंसर से लड़ता है।
- इसे नेशनल मेडिकल रिसर्च रेडियोलॉजी सेंटर और एंगेलहार्ट इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ने बनाया है।
- FMBA का दावा है कि प्री-क्लिनिकल परीक्षणों में इस वैक्सीन ने ट्यूमर के विकास को 60% तक रोका और कुछ मामलों में कैंसर पूरी तरह खत्म हुआ।
mRNA तकनीक: सरल शब्दों में
mRNA (मैसेंजर RNA) शरीर को सिखाता है कि वह खास प्रोटीन बनाए, जो बीमारी से लड़ने में मदद करता है।
- वैक्सीन में कृत्रिम mRNA डाला जाता है, जो शरीर को कैंसर कोशिकाओं का नकली हिस्सा बनाने का निर्देश देता है।
- इम्यून सिस्टम इस नकली हिस्से को देखकर कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है।
- भविष्य में अगर कैंसर कोशिकाएं आएंगी, तो शरीर उन्हें तुरंत नष्ट कर देगा।
वैज्ञानिक प्रगति और चुनौतियां
रूस की दोनों वैक्सीन तकनीकी रूप से उन्नत हैं, लेकिन अभी शुरुआती चरण में हैं। मानव परीक्षण (फेज-1 क्लिनिकल परीक्षण) 48 मरीजों के साथ शुरू हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की राय इस प्रकार है:
1. वैज्ञानिकों का दावा
- रूस के मुख्य ऑन्कोलॉजिस्ट आंद्रेई काप्रिन कहते हैं, "यह वैक्सीन न सिर्फ कैंसर को खत्म करेगी, बल्कि इसके दोबारा होने की संभावना भी कम करेगी।"
- गमालेया इंस्टीट्यूट के प्रमुख अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग का कहना है, "AI की मदद से हम एक हफ्ते में वैक्सीन तैयार कर सकते हैं।"
2. अंतरराष्ट्रीय शोध
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MDPI मेडिकल जर्नल के एक अध्ययन के अनुसार, ऑनकोलिटिक वायरस और mRNA वैक्सीन कुछ कैंसर (जैसे मेलानोमा और ब्रेन ट्यूमर) में प्रभावी हैं, लेकिन अगर मरीज का शरीर पहले से वायरस को पहचानता है, तो वैक्सीन का असर कम हो सकता है।
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arXiv.org के एक गणितीय मॉडल से पता चला कि ऑनकोलिटिक वायरस ट्यूमर को शुरू में कम करते हैं, लेकिन ट्यूमर के केंद्र में बची कोशिकाएं दोबारा बढ़ सकती हैं।
- एक अन्य शोध में पाया गया कि ट्यूमर के अंदर ऑक्सीजन की कमी (हाइपॉक्सिया) वायरस की प्रभावशीलता को कम कर सकती है।
क्या यह वैक्सीन हर कैंसर का इलाज कर सकती है?
- अभी यह वैक्सीन कुछ खास कैंसर (जैसे स्किन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, और ब्रेन ट्यूमर) पर ही आजमाई गई है।
- स्थायी इलाज की पुष्टि के लिए लंबे समय तक परीक्षणों की जरूरत है।
- संभवतः एक से अधिक डोज की आवश्यकता होगी।
- इलाज से पहले मरीज की जेनेटिक प्रोफाइल, ट्यूमर की बायोप्सी, और इम्यून सिस्टम की जांच जरूरी होगी।
- साइड इफेक्ट्स की पूरी जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इम्यून-थेरेपी में सामान्य कोशिकाओं पर असर होने की संभावना रहती है।
संजय सक्सेना - उम्मीद है, लेकिन रास्ता लंबा है
- सकारात्मक पक्ष: रूस की वैक्सीन तकनीक कैंसर के इलाज में नई उम्मीद जगाती है। यह पारंपरिक कीमोथेरेपी और रेडिएशन से आगे की दिशा है।
- चुनौतियां: यह तकनीक अभी प्रारंभिक चरण में है और हर कैंसर के लिए रामबाण नहीं है। इसे अन्य उपचारों (जैसे सर्जरी, कीमोथेरेपी, या इम्यूनोथेरेपी) के साथ जोड़ना होगा।
- भविष्य: बड़े पैमाने पर क्लिनिकल परीक्षणों और अंतरराष्ट्रीय समीक्षा के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि क्या एक इंजेक्शन से कैंसर का इलाज संभव है।