कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए कहा, “2014 से पहले अरविंद केजरीवाल और भाजपा ने मिलकर 2जी और कॉमनवेल्थ जैसे काल्पनिक घोटालों के जरिए कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिश की थी। आज अदालत के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे आरोप बेबुनियाद थे।”
उन्होंने कहा, “2जी मामले की सच्चाई पहले ही न्यायालय में सामने आ चुकी थी। अब कॉमनवेल्थ केस में भी ईडी की क्लोज़र रिपोर्ट को अदालत की स्वीकृति मिल गई है। यह साबित करता है कि दोनों ही मामलों में लगाए गए आरोप झूठे थे। प्रधानमंत्री मोदी और केजरीवाल को न केवल कांग्रेस से, बल्कि देश की जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए।”
इस मामले में आयोजन समिति के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी, महासचिव ललित भनोट समेत कई अन्य पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि जिन आरोपों की जांच सीबीआई कर रही थी, वे पहले ही खारिज हो चुके थे, और ईडी ने उन्हीं आधारों पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। अदालत ने कहा कि ईडी की विस्तृत जांच में भी मनी लॉन्ड्रिंग का कोई साक्ष्य सामने नहीं आया है।
इस फैसले के बाद कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “ये मामले कभी न्याय की भावना से प्रेरित नहीं थे। ये केवल राजनीतिक बदले की भावना, सुर्खियां बटोरने और अपनी असफलताओं से ध्यान भटकाने का एक सस्ता प्रयास थे।”
उन्होंने कहा, “आज जब तथाकथित घोटालों की सच्चाई उजागर हो चुकी है, यह केवल कानूनी जीत नहीं है, बल्कि भाजपा की झूठे विमर्श की राजनीति पर एक नैतिक और राजनीतिक आरोपपत्र है। सच टीवी स्टूडियो में चिल्लाता नहीं है, वह शांत, ठोस और अनिवार्य रूप से सामने आता है।”
अब बड़ा सवाल यही है—क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल जनता के सामने आकर माफ़ी मांगेंगे?