परंपरा और तकनीक का संगम: डिजिटल आयुष की ओर
कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर श्रीमती वीना जॉर्ज ने कहा,
“परंपरा के साथ नवोन्मेषण का अंगीकरण ही आयुष को सुलभ, किफायती और नागरिक-केंद्रित बनाने की कुंजी है। अब वक्त है कि आयुष को एक समेकित डिजिटल भविष्य की ओर अग्रसर किया जाए।”
उन्होंने आयुष सेवाओं में डिजिटल समाधानों की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि तकनीक के समावेश से स्वास्थ्य सेवाएं पारदर्शी होंगी, वित्तीय ट्रैकिंग सुदृढ़ होगी, और देखभाल की पहुंच व्यापक बनेगी।
आयुष सचिव का आह्वान: "डिजिटल को विकल्प नहीं, अनिवार्यता मानें"
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने अपने मुख्य वक्तव्य में कहा,
“आईटी समाधानों का समावेश अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि आयुष सेवाओं की गुणवत्ता, पहुंच और वहनीयता बढ़ाने की प्राथमिक आवश्यकता बन गया है।”
उन्होंने ‘आयुष ग्रिड’ और नवीन डिजिटल पोर्टलों की जानकारी दी, जो राज्यों के बीच सहयोग, सॉफ्टवेयर के मानकीकरण और डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के साथ आयुष की एकरूपता को सुनिश्चित करेंगे।
केरल बना उदाहरण, अन्य राज्यों को सीख लेने की सलाह
केरल सरकार के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य एवं आयुष) श्री राजन एन. खोबरागड़े ने राज्य की डिजिटल स्वास्थ्य उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा,
“केरल का मॉडल उपयोगकर्ता-केंद्रित, अनुकूलनीय और केंद्रीय रूप से एकीकृत प्लेटफॉर्म के लिए मिसाल बन चुका है।”
उन्होंने अन्य राज्यों से अपील की कि वे इस मॉडल को अपनाकर डेटा प्रबंधन, रोगी सेवा और निगरानी तंत्र में समान मानक स्थापित करें।
राज्यों के बीच सहयोग, नवाचार और अनुभवों का साझा मंच
उत्तर प्रदेश के आयुष विभाग के प्रमुख सचिव रंजन कुमार ने कार्यशाला को राज्यों के बीच नवाचार और अनुभव साझा करने का महत्वपूर्ण मंच बताया। आयुष मंत्रालय के निदेशक डॉ. सुबोध कुमार ने इस पहल को "डिजिटल स्वास्थ्य में अंतर-राज्यीय तालमेल का मजबूत कदम" बताया।
आधुनिकता की ओर आयुष: केरल का विजन
राज्य मिशन निदेशक डॉ. डी. साजिथ बाबू ने कहा कि कार्यशाला, केरल के उस मिशन को सशक्त बनाएगी जिसमें आयुष सेवाओं को डिजिटल युग के अनुरूप ढालना प्राथमिक लक्ष्य है। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन सॉफ्टवेयर के लाइव डेमो का उल्लेख करते हुए डिजिटल समावेशन पर बल दिया।
प्रतिनिधियों का प्रक्षेत्र दौरा और नवाचारों का अवलोकन
20–21 सितंबर को आयोजित प्रक्षेत्र दौरे में प्रतिभागियों को केरल के कोट्टायम, अलप्पुझा और त्रिशूर जिलों की प्रमुख आयुष स्वास्थ्य सुविधाओं—जैसे एनएबीएच-प्रमाणित आयुष्मान आरोग्य मंदिर, कायाकल्प पुरस्कार प्राप्त अस्पताल, खेल आयुर्वेद परियोजनाएं और आरोग्यनौका इत्यादि—का अवलोकन कराया जाएगा।
डिजिटल आयुष की नई सुबह
यह कार्यशाला सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत के आयुष क्षेत्र को डिजिटल युग में सशक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक तकनीकी समाधानों से जोड़कर आयुष को जन-जन तक पहुँचाने का यह प्रयास, आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवाओं के परिदृश्य को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखता है।