Tranding
Tuesday, October 14, 2025

24JT News Desk / News Delhi /September 19, 2025

कवि और लेखक डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कविता "मोम के पंख", जिसने साहित्य प्रेमियों के बीच खासी चर्चा बटोरी है। यह कविता मानव जीवन की महत्वाकांक्षाओं, आंतरिक संघर्षों और चुनौतियों को गहरे और भावनात्मक अंदाज में प्रस्तुत करती है।

कला-साहित्य / डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कविता "मोम के पंख" ने जीता पाठकों का दिल

"मोम के पंख" एक दार्शनिक रचना है, जो पौराणिक कथा में इकारस के मोम के पंखों से प्रेरित प्रतीत होती है। कविता में मानव की ऊँची उड़ान भरने की चाह और उससे जुड़े जोखिमों को बखूबी चित्रित किया गया है। सरल भाषा में लिखी गई यह कविता आम पाठकों से लेकर साहित्य के गंभीर अध्येताओं तक को आकर्षित कर रही है। साहित्य समीक्षकों का मानना है कि यह कविता आधुनिक युग में मानव की आकांक्षाओं और उनकी सीमाओं को उजागर करने में सफल रही है।

कविता : मोम के पंख


मोम के कोमल पंख लगाकर मैं,
क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ?
बारूद के ढेर पर बैठकर मैं,
क्यों आग से खेलना चाहता हूँ?

जानता हूँ, मेरा जीवन,
काँटों से भरा हुआ है।
काँटों भरी राहों पर चलकर मैं,
क्यों फूलों की इच्छा रखता हूँ?

मोम के कोमल पंख लगाकर मैं,
क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ?

हर पल, हर क्षण अनजान है,
कब आए आँधी, कब तूफान।
इस किनारे पर बैठकर मैं,
उस किनारे को पाना चाहता हूँ।

मोम के कोमल पंख लगाकर मैं,
क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ?

मंजिल का पता नहीं मुझको,
रास्ता कौन-सा है, अनजान।
फिर क्यों रोकता हूँ हवाओं को,
मंजिल का ठिकाना जानना चाहता हूँ।

मोम के कोमल पंख लगाकर मैं,
क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ?

पेट कभी तृप्त नहीं होता,
घास पर ओस की चंद बूँदों से।
फिर क्यों उन बूँदों को पीकर मैं,
तृप्ति का आभास करना चाहता हूँ?

मोम के कोमल पंख लगाकर मैं,
क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ?

कविता का महत्व:


कविता की पंक्तियाँ, जैसे "मोम के कोमल पंख लगाकर मैं, क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ?" और "काँटों भरी राहों पर चलकर मैं, क्यों फूलों की इच्छा रखता हूँ?", जीवन के विरोधाभासों और मानव की अतृप्त इच्छाओं पर गहरे सवाल उठाती हैं। कविता में अनिश्चितता, जोखिम और तृप्ति की खोज जैसे विषयों को सहजता से प्रस्तुत किया गया है।

डॉ. दिनकर ने अपने साहित्यिक सफर में कई रचनाएँ दी हैं, जो सामाजिक और मानवीय मुद्दों को उजागर करती हैं। उनकी यह नई कविता भी पाठकों को आत्ममंथन के लिए प्रेरित कर रही है। कई युवा पाठकों ने इसे "प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक" बताया।

Subscribe

Trending

24 Jobraa Times

भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बनाये रखने व लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए सवंत्रता, समानता, बन्धुत्व व न्याय की निष्पक्ष पत्रकारिता l

Subscribe to Stay Connected

2025 © 24 JOBRAA - TIMES MEDIA & COMMUNICATION PVT. LTD. All Rights Reserved.