इसका उद्देश्य उभरते तकनीकी क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना है, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा, परिषद ने योजना के कार्यान्वयन दिशानिर्देशों और शासन ढांचे को भी हरी झंडी दिखा दी है।
RDI कोष के प्रबंधन को लेकर वित्त मंत्रालय द्वारा अनुमोदित विशेष वित्तीय नियमों को अपनाते हुए, प्रबंधन दल की संरचना और उनके मुआवज़े संबंधी नीतियों को भी मंजूरी दे दी गई है। यह निर्णय आने वाले महीनों में इस परिवर्तनकारी पहल के सुचारू शुभारंभ की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
गौरतलब है कि इन दिशानिर्देशों और वित्तीय नियमों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा विभिन्न हितधारकों, आर्थिक मामलों का विभाग (DEA), और व्यय विभाग (DoE) के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। इन कदमों से योजना के प्रभावी और पारदर्शी कार्यान्वयन की मजबूत नींव तैयार होगी और दीर्घकालिक नवाचार आधारित विकास को गति मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसंधान एवं विकास (R&D) पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती देने के लिए ₹1 लाख करोड़ के RDI कोष की स्थापना को मंजूरी दी थी। यह कदम निजी क्षेत्र की भागीदारी से संचालित अनुसंधान को नई दिशा देने वाला बताया जा रहा है।
इस योजना के तहत दो-स्तरीय वित्तीय ढांचा तैयार किया गया है। पहले स्तर पर, ANRF के तहत SPF गठित किया जाएगा जो कोष का संरक्षक होगा। यह कोष सीधे निवेश नहीं करेगा, बल्कि वैकल्पिक निवेश कोष (AIFs), विकास वित्त संस्थानों (DFIs), और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) जैसे दूसरे स्तर के फंड मैनेजरों को पूंजी प्रदान करेगा।
इन संस्थानों द्वारा निवेश के निर्णय स्वतंत्र विशेषज्ञ समितियों की सिफारिशों के आधार पर लिए जाएंगे। ये फंड मैनेजर सरकार से स्वतंत्र रूप से कार्य करेंगे, जिससे लचीलेपन और व्यावसायिक दक्षता को बढ़ावा मिलेगा।
इस परिवर्तनकारी पहल से उम्मीद की जा रही है कि भारत में निजी क्षेत्र की अनुसंधान और नवाचार में भागीदारी को एक नई ऊंचाई मिलेगी, और देश वैश्विक नवाचार परिदृश्य में अपनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराएगा।